नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि
शेयर मार्केट क्या है? और हम इसमें कैसे निवेश कर सकते है?
शेयर मार्केट को शेयर बाज़ार, स्टॉक मार्केट, इक्विटी मार्केट, वेल्थ मार्केट के नाम से भी जाना जाता है| शेयर मार्केट दो शब्दों से मिलकर बना है: शेयर और मार्केट| शेयर का मतलब पार्ट या हिस्सा से है और मार्केट का मतलब बाजार से है|
इस प्रकार स्पष्ट है कि "एक ऐसी जगह जहाँ विभिन्न कंपनियों के शेयर्स यानि हिस्से ख़रीदे और बेचे जाते है, उसे ही शेयर मार्केट कहते है|" यहाँ जगह का मतलब एक्सचेंज से है, जिसे स्टॉक एक्सचेंज कहते है|
भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज है और दोनों मुंबई में स्थित है:
1. BSE (Bombay Stock Exchange): ये भारत का प्रथम और एशिया का भी प्रथम स्टॉक एक्सचेंज है, जिसकी स्थापना सन 1875 में हुई है| दुनिया के स्टॉक एक्सचेंज में इसका स्थान 11वें नम्बर पर है| सन 1995 से यहाँ ऑनलाइन ट्रेडिंग प्रारंभ हुई है| सेंसेक्स (SENSEX) इस एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स है, जो इस एक्सचेंज के टॉप 30 कंपनियों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन (कुल मूल्य) के आधार पर बनी है| यहाँ कुल 5749 कम्पनियाँ लिस्टेड है|
2. NSE (National Stock Exchange): इसकी स्थापना सन 1992 में हुई| इनकी ग्लोबल रैंक 10 है| निफ्टी (NIFTY) इस एक्सचेंज का प्रमुख इंडेक्स है जो कि इस एक्सचेंज में लिस्टेड टॉप 50 कंपनियों के कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन (कुल मूल्य) पर आधारित है| यहाँ कुल 1696 कम्पनियाँ लिस्टेड है|
इन्ही दो एक्सचेंजों और ब्रोकर्स के माध्यम से शेयर्स की खरीदी और बिक्री की जाती है| एक्सचेंज पर केवल शेयर्स की खरीदी-बिक्री नहीं होती है, यहाँ और भी सिक्योरिटीज या प्रतिभूतियां है, जिनका ट्रेडिंग होती है, जैसे - डेरिवेटिव्स, म्यूच्यूअल फण्ड, इंडेक्स आदि|
कम्पनियाँ शेयर्स क्यों बेचती है? कम्पनियाँ शेयर्स कैसे इश्यु करती है?
कंपनी को अपने बिज़नेस के विस्तार, विकास एवं व्यापार बढाने या ऋण चुकाने के लिए बड़ी पूंजी या कैपिटल की जरुरत होती है| कंपनियों के पास पूंजी जुटाने के लिए दो आप्शन होते है: पहला कि वह बैंक से लोन ले, लेकिन बैंक से लोन लेने के बाद उसे ब्याज भी चुकाने पड़ेंगे| इससे अच्छा उसके पास दूसरा आप्शन होता है कि अपनी कंपनी की हिस्से या शेयर्स को पब्लिक में बेच कर पूंजी जुटा सकती है, इससे कंपनी को ब्याज भी देना नहीं पड़ता, जिस प्रकिया के तहत कम्पनियाँ पहली बार शेयर्स जारी करती है, उसे इनिशियल पब्लिक ऑफर (Initial Public Offer) या IPO कहते है|
एक बार IPO आ जाने के बार कंपनी के शेयर्स स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड हो जाते है| इसके बाद ये शेयर्स स्टॉक एक्सचेंज और ब्रोकर्स के माध्यम से इन्वेस्टर द्वारा आपस में ख़रीदे और बेचे जाते है|
शेयर मार्केट में निवेश शुरू कैसे करें?
फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के प्रॉफिट एंड लोस स्टेटमेंट, बैलेंस शीट,कैस फ्लो और विभिन्न रेशियों को देखा पढ़ा जाता है और टेक्निकल एनालिसिस में चार्ट और इंडिकेटर के माध्यम से कंपनी की परफॉरमेंस चेक किया जाती है| उसके बाद वह कंपनी भविष्य में ग्रो करेगी या नहीं आप एक अनुमान लगा सकते है|
दोस्तों आज के समय में हम किसी स्टॉक या कंपनी का एनालिसिस करना इन्टरनेट के माध्यम से आसानी से सीख सकते है| ऐसे बहुत सारी बुक्स, ब्लोग्स और यू-टूब चैनल है जो आपको कुछ ही दिनों में सीखा देंगे|
अपनी शेयर मार्केट के नालेज बढाने के लिए इकनोमिक टाइम्स, मनी कण्ट्रोल, गूगल फाइनेंस, स्क्रीनर जैसे वेबसाइट को विजिट कर सकते है और साथ ही साथ उससे रिलेटेड समाचार, आर्टिकल पढ़ सकते है|
दोस्तों शेयर मार्केट जोखिम के अधीन है, इसलिए किसी दोस्त के बताई गई स्टॉक्स पर या किसी ब्रोकर, ब्लॉगर या यू टूबर के टिप्स को आँख मूंदकर फालो न करे| आप यहाँ जिस स्पीड से पैसे कमा सकते है उसी स्पीड से यहाँ अपने पैसे भी गवां सकते है| इसलिए यहाँ सबसे पहले सीखने पर फोकस करे और छोटी पूंजी या कैपिटल से शुरुवात करे| एकदम से लाखों रुपयों से शुरुवात न करे| छोटी -छोटी राशियों से निवेश करे यानि SIP मोड में|
शेयर्स कैसे ख़रीदे और बेचें?
दोस्तों पुराने समय में शेयर्स को खरीदना और बेचना इतना आसान नहीं था| उस समय शेयर्स को खरीदने के लिए Auctions में जाना पड़ता था और बोली लगाकर शेयर्स को खरीदना पड़ता था| शेयर्स की लेनदेन कागजों में होती थी और कागज ख़राब हो जाने या गुम हो जाने का भी खतरा होता था|
लेकिन आज के समय में शेयर्स को बेचना और खरीदना बिलकुल ही आसान है| इसे घर बैठे किसी कंप्यूटर, मोबाइल और इन्टरनेट से किसी ब्रोकर के ट्रेडिंग टर्मिनल से ऑनलाइन खरीद और बेच सकते है| इसके लिए आपके पास एक डीमेट अकाउंट (Demat Account) और ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) होना चाहिए| ये दोनों अकाउंट एक साथ किसी भी बैंक में या ब्रोकर्स जैसे- शेयरखान, मोतीलाल ओसवाल, ज़ेरोधा, एंजेल वन आदि ब्रोकर्स के पास अकाउंट खुलवा सकते है|
डीमेट अकाउंट (Demat Account) एक बैंक अकाउंट की तरह ही होता है जैसे कि हमारे सेविंग अकाउंट में हम पैसे जमा करके रखते है ठीक उसी प्रकार स्टॉक मार्केट से जब शेयर्स खरीदते है तो उन्हें रखने के लिए डीमेट अकाउंट की जरुरत पड़ती है| डीमेट अकाउंट में हमारे सभी शेयर्स डिजिटल फॉर्म में सेव होते है|
भारत में सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने दो संगठनों (Organizations), जिसे Depository कहते है, को डीमेट अकाउंट खोलने की जिम्मेदारी दी है:
1. NSDL (National Securities Depository Ltd)
2. CDSL (Central Depository Securities Ltd)
दोनो संगठनों में रजिस्टर्ड Depository Participant (DP) ही डीमेट अकाउंट खोल सकते है| DP सेबी के प्रति जवाबदेह होते है|
जैसे: जेरोधा एक DP या ब्रोकरेज फर्म है और ये CDSL जो कि Depository है, से लिंक्ड है| यानी ज़ेरोधा में ट्रेडिंग एकाउंट खुलवाने पर आपका डीमेट एकाउंट CDSL में खुलेगा।
ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) एक चालू बैंक अकाउंट कि तरह होता है जिसके द्वारा शेयर्स को ख़रीदा और बेचा जाता है|
शेयर मार्केट से हम लाभ कैसे कमा सकते है?
शेयर मार्केट में हम दो तरह से पैसे कमा सकते है| पहला किसी स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेडिंग करके और दुसरा किसी स्टॉक में लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट करके| ट्रेडर या इन्वेस्टर अपनी रिस्क रिवार्ड रेशियों अपनी कैपिसिटी के अनुसार तय कर सकते है|
ट्रेडिंग में शेयर्स को कम दाम में खरीद कर बढे हुए दाम में बेचा जाता है और इसी खरीदी-बिक्री के अंतर में हमें प्रॉफिट या लोस होता है| ट्रेडिंग कई प्रकार के होते है जैसे - स्कल्पिंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग, स्विंग ट्रेडिंग आदि|
इन्वेस्टिंग में हम किसी स्टॉक को खरीद कर कई हफ़्तों, कई महीनों या कई सालों तक होल्ड करके रखते है| जब हम किसी कंपनी के शेयर्स को खरीदते है तो हम उस कंपनी के उतने ही हिस्सों के मालिक या शेयर होल्डर कहलाते है| लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग में हमें दो तरह के फायदे हो सकते है| पहला जब कंपनी का बिज़नेस ग्रो करेगी तो साथ ही साथ उस कंपनी का शेयर प्राइस भी बढ़ेगी और बढे हुए कीमत पर शेयर को बेच कर लाभ कमा सकते है|
दूसरी जब कपनी लाभ कमाती है तो अपने शेयर होल्डर को कुछ लाभ भी देते है, जिसे डिविडेंड कहते है| लेकिन ध्यान रहे कि हरेक कंपनी डिविडेंड नहीं देती है और ये भी जरुरी नहीं कि एक साल डिविडेंड देने के बाद वो कंपनी हर साल आपको डिविडेंड दे| डिविडेंड देना या न देना कंपनी की इंटरनल मैटर है और ये कंपनी के मैनेजमेंट निर्णय लेती है|
आशा करता हूँ दोस्तों इस पोस्ट से आपको काफी कुछ जानकारी मिली होगी| इससे रिलेटेड कोई सवाल हो या इस लेख में कोई त्रुटि हुई हो तो जरूर कमेंट बॉक्स में लिखें। मैं आपके सवालों के जवाब देने की जरूर कोशिश करूंगा।
धन्यवाद!
Nice Sir
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