दोस्तों यदि आप भी 2022 में अपनी इंवेस्टिंग की जर्नी म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट करके करने वाले हो तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है, जिसे पढ़ और समझकर आप अपने लिए म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम के चुनाव करने में काफी मदद मिल सकती है।
दोस्तों म्यूच्यूअल फण्ड सही है, ये सभी ने सुना होगा और हम पिछले पोस्ट में ये भी जान चुके है कि इनमें निवेश हमारे पैसों को फण्ड मैनेजर के द्वारा विभिन्न Securities जैसे- शेयर्स, बांड, डिबेंचर्स और सरकारी प्रतिभूतियों में लगाते है, ताकि हमें बेहतर रिटर्न मिल सके। लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं है कि हमें सिर्फ लाभ होगा, हमें हानि भी हो सकती है। चाहे फण्ड मैनेजर ही क्यों न हमारे पैसों को संभाल रही हो। दुनिया में जितने भी निवेश के विकल्प है सभी किसी न किसी जोखिम के अधीन होते है। यदि हम पहले अच्छे से जान और समझ जाये कि हम निवेश क्यों और कहाँ कर रहे है? इसमें रिस्क और रिवार्ड कितना है? और उनके बेसिक्स को समझ ले, तो बहुत हद तक हम अपने निवेश के जोखिम को कम कर सकते है।
तो आइये जाने कि Mutual Funds स्कीम में निवेश करने से पहले हमें किन किन बातों पर गौर करनी चाहिए?
1. Goals/Objectives:
सबसे पहले तो हम जिस भी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में निवेश करने के लिए जा रहे हो उसके Goal/Objectives को अच्छे से पढ़ लेनी चाहिए। साथ ही हमारा वित्तीय लक्ष्य क्या है? (जैसे: रिटायरमेंट, बच्चों की शिक्षा, घर आदि) इसे निर्धारित कर लेनी चाहिए, इसमें मिलने वाले रिटर्न, लगने वाले समय अवधि आदि के बारे में अच्छे से पता हो| ताकि हम उस निवेश यात्रा को तब तक जारी रख पाएं, जब तक कि हमारे वित्तीय लक्ष्य पूरे नहीं हो जाते।
2. Past Return/Performance:
किसी भी स्कीम में निवेश से पहले उसकी 5 से 6 वर्षों की Past Return/Performance को जरूर जाँच लेनी चाहिए। इसके लिए Absolute Return, CAGR और XIRR का जरूर उपयोग करें। लंबी अवधि के रिटर्न और परफॉरमेंस से कुछ हद तक भविष्य में अच्छा प्रदर्शन कर पायेगा या नहीं अनुमान लगा सकते है।
3. Riskometer:
सभी म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में Riskometer जरूर होता है, इसे जरूर नोटिस करें। हमें अपनी रिस्क केपेसिटी के हिसाब से फण्ड का चुनाव करना चाहिए। जैसे कि इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड में हाई रिस्क और हाई रिटर्न भी होते है, जबकि डेब्ट म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में कम रिस्क और कम रिटर्न होते है। और यदि आप हाइब्रिड म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम चुनते है तो इसके रिस्क और रिटर्न डेब्ट से ज्यादा और इक्विटी से कम होते है। अतः निवेश से पहले अपना रिस्क और रिटर्न जरूर समझ ले। हमेशा कैल्कुलेटेड रिस्ट ही ले।
4. Basic Details & Holdings:
म्यूच्यूअल फण्ड के हम जिस भी स्किम में निवेश कर रहे हो उनकी बेसिक डिटेल्स और होल्डिंग्स डिटेल्स को भी जरूर जाँच लेनी चाहिए। होल्डिंग्स से हमें पता चलता है कि हमारा पैसा किन किन स्टॉक्स, बांड या डिबेंचर में और कितना वेटेज के साथ इंवेस्टेड है। कहीं हमारा पैसा ऐसे स्टॉक्स में नहीं है जो स्माल कैप या पैनी स्टॉक हो, तो ऐसी स्कीम में हमें निवेश से बचना चाहिए।
5. Expense Ratio:
सभी म्यूच्यूअल फंड्स कंपनियां अपने निवेशकों से ऑफिस के खर्चे, रिसर्च व एनालिसिस के खर्चे और अपने एम्प्लॉयी के सैलरी आदि सभी खर्चों के लिए एक शुल्क लेती है, जिसे Expense Ratio कहते है। आमतौर पर ये शुल्क 2% तक सालाना चार्ज करती है। जैसे आपने 2 लाख रुपये सालाना किसी म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्ट किया और यदि उनका एक्सपेंस रेशियों 1.5 % हो तो आपका 3000 रुपये एक्सपेंस रेशियों के रूप में 2 लाख में से कट जायेगा। अब हम पता कैसे करें कि कौन सी स्कीम की एक्सपेंस रेशियों सस्ता है मँहगा? इसके लिए Peer Schemes की एक्सपेंस रेशियों की तुलना कर आसानी से पता कर सकते है। इसे हम Money Control, Groww, ET Markets के वेबसाइट या एप्प में आसानी से देख सकते है।
6. Regular Plan/ Direct Plan:
दोस्तों यदि आपने किसी म्यूच्यूअल फण्ड एडवाइजर से स्कीम खरीदते हो तो आपको उसके सलाह के बदले में कमीशन भी देना पड़ता है। भले ही यह कमीशन अल्प अवधि में ज्यादा नजर नहीं आता हो, लेकिन लंबी अवधि जैसे 7 से 10 वर्षों में आपके रिटर्न को 1% से 2% तक कम कर सकते है। इसलिए हमें म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम चुनते समय थोड़ा खुद से रिसर्च और मेहनत कर के Direct Plan में ही निवेश करनी चाहिए। क्योंकि यही 1% या 2% लंबी अवधि में बड़ा प्रॉफिट होता है।
7. Exit & Entry Load:
जब आप किसी म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम से निर्धारित समय से पहले बाहर होते है, तो आपको फाइन के रूप में म्यूच्यूअल फण्ड कंपनी को Exit Load देनी पड़ती है। ये चार्ज 0.5% से 2% तक हो सकती है। किसी स्कीम में निवेश करते समय इसे भी विचार कर लेनी चाहिए। SEBI ने 2009 से Entry Load को Banned कर दिया है। इसलिए अब Entry Load किसी भी स्कीम में नहीं लगता है।
8. Rating & Return:
कई लोग म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश से पहले Rating & Return को ज्यादा प्राथमिकता देते है। लेकिन हमें ये भी याद रखना चाहिए हर साल किसी एक स्कीम की Rating & Return एक समान नहीं होती है। मतलब कि जो स्कीम या फण्ड 5 से 6 वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किए हो वो आने वाले वर्षों में भी उसी तरह प्रदर्शन करेगी, इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है। अतः हमें Rating & Return को ज्यादा प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए। हमें सबसे ज्यादा अपने वित्तीय लक्ष्य पर ध्यान देना चाहिए।
9. Market Crash:
मार्केट में गिरावट के समय SIP को बंद कर देना| कई निवेशक शेयर मार्केट में गिरावट के चलते अपने म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम को बंद कर देते है, जो कि बिल्कुल गलत है। ऐसी स्थिति में हमें धैर्य के साथ अपने Goal को ध्यान में रखकर SIP को जारी रखना चाहिए। मार्केट में गिरावट के समय हमें Averaging का भी लाभ मिलता है अर्थात हमें कम कीमत पर अधिक यूनिट या NAV प्राप्त होते है। जबकि मार्केट के लगातार ऊपर चढ़ने से हमें मंहगे यूनिट मिलती है
10. SIP में TopUp नहीं करना:
कई लोग लंबे समय तक एक ही निश्चित राशि से SIP में इन्वेस्ट करते चले जाते है, जो कि गलत है। हर साल हमारी सैलरी बढ़ती है, उसी हिसाब से हमें SIP की राशि को भी बढ़ानी चाहिए, ताकि लंबी अवधि में Power Of Compounding का लाभ ज्यादा से ज्यादा मिल सके।
11. एक से अधिक SIP हो:
यदि आपके पास 4 या 5 SIP है तो उसे एक ही तारीख पर कभी भी न कटवाये। क्योंकि एक ही तारीख में कटवाने से किसी भी दिन यदि मार्केट ज्यादा ऊँचाई पर बन्द हुआ हो तो हमें मंहगे यूनिट या NAV मिलेंगे। इसलिए यदि हमारे पास 2 या 2 से अधिक SIP है तो हमें इसकी तारीख भी अलग अलग रखनी चाहिए। ताकि हमें मार्केट के उतार चढ़ाव का लाभ भी मिल सके।
12. Beta Value:
म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम में Beta Value से उसकी वोलैटिलिटी या उतार चढ़ाव (अस्थिरता) मापी जाती है। यदि बीटा नेगेटिव हो तो वोलैटिलिटी कम होती है और यदि बीटा पॉजिटिव हो तो वोलैटिलिटी अधिक होती है। बीटा की बेंचमार्क वैल्यू अर्थात आइडियल वैल्यू 1 होती है। यदि किसी म्यूच्यूअल फण्ड की बीटा वैल्यू 1 से अधिक है तो जब मार्केट गिरता है तो उसी के हिसाब से हमें और अधिक घाटा होती है और जब मार्केट ऊपर चढ़ता है, तो हमें फायदा भी ज्यादा मिलता है। अतः हमें ऐसी फण्ड का चयन करना चाहिए जिनका बीटा वैल्यू 1 से कम हो।
13. Alpha Value:
अल्फा वैल्यू से म्यूच्यूअल फंड्स स्कीम की परफॉरमेंस चेक की जाती है। अल्फा वैल्यू हमें यह बताता है कि कोई फण्ड अपने बेंचमार्क से कितना कम या अधिक रिटर्न दिया है। उदाहरण के लिए Nifty IT जो कि एक बेंचमार्क है, ने हमें साल के अंत मे 20% रिटर्न दिया हो और हमारे चुने हुए स्किम ने 25% रिटर्न दिया हो तो इसका मतलब यह हुआ कि हमारे चुने हुए स्किम ने बेंचमार्क से 5% अधिक रिटर्न दिया है। इस प्रकार हमारे स्कीम की अल्फा वैल्यू 5% होगी। अतः हमें ऐसे फण्ड या स्कीम में निवेश करना चाहिए जिनका अल्फा वैल्यू पॉजिटिव हो। नेगेटिव अल्फा वैल्यू वाले फण्ड को इग्नोर करना चाहिए।
14. Fund Manager:
जो फण्ड या स्कीम 5 से 6 वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किए हो लेकिन अब उसके फण्ड मैनेजर बदल गए हो और उसके साथ ही वह फण्ड अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हो तो हमें ऐसे फण्ड में निवेश से बचना चाहिए या फिर कुछ माह या साल अवलोकन करने के बाद ही निवेश करना चाहिए। कोई फण्ड लंबी अवधि में अच्छा प्रदर्शन कर रहा हो तो इससे हमें फण्ड मैनेजर की परफॉर्मेन्स भी समझ में आ जाती है। हमें फण्ड मैनेजर की परफॉर्मेंस को भी चेक करना चाहिए, इसके लिए आप गूगल में फण्ड मैनेजर का नाम और उसके आगे उस म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम का नाम टाइप करके सर्च कर सकते है। ऐसा करने से आपके स्क्रीन के सामने उसके नाम के साथ वो फण्ड मैनेजर जितने भी स्कीम को हैंडल कर रहे हो उसके सारे डिटेल्स आ जायेगा। इससे आपको स्कीम चयन करने में काफी आसानी भी होगी।
आशा करता हूँ दोस्तों ये आर्टिकल आपको काफी useful लगी हो, ऐसी ही इंवेस्टिंग और फाइनेंस से रिलेटेड पोस्ट के लिए हमारे वेबसाइट को जरुर विजिट करते रहे।
धन्यवाद!