नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में जानेंगे कि Personal Finance Kya Hai? या व्यक्तिगत वित्त क्या है?
Personal Finance ठीक हमारे हेल्थ की तरह ही है| जिस तरह प्रत्येक व्यक्ति की हेल्थ अलग-अलग होती है वैसे ही प्रत्येक व्यक्ति की फाइनेंसियल हेल्थ भी अलग-अलग होती है। इसका कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति की हेल्थ उसके खान-पान, रहन-सहन, उचित योग व व्यायाम, अनुशासन आदि आदतों के आधार पर अलग-अलग होते है। वैसे ही Personal Finance की हेल्थ प्रत्येक व्यक्ति की उसकी आमदनी, खर्चें, बचत, बीमा और निवेश आदि आदतों के आधार पर अलग अलग होते है।
हम अपने आसपास ऐसे बहुत से लोगों को जानते होंगे, जो बहुत पढ़े-लिखे यानी डिग्रीधारी हो, लेकिन पैसों के मामले में कंगाल हो, गरीब हो। इन सब का कारण है पैसों की समझ यानी फाइनेंसियल एजुकेशन की कमी। दूसरी तरफ ऐसे बहुत से लोग जो कम पढ़े-लिखे हो, लेकिन पैसों या धन के मामले में अमीर हो यानी उन्हें पैसों की समझ अच्छे से होती है।
हम सब किसी न किसी तरह से (बिज़नेस या नौकरी करके) पैसा कमाने तो सीख जाते है। लेकिन पैसों को कैसे Manage करना है? ये कोई स्कूल, कालेज या परिवार में कोई भी नहीं सिखाता। स्कूल और कॉलेज में केवल अकादमिक एजुकेशन, प्रोफेशनल एजुकेशन और टेक्निकल एजुकेशन दी जाती है लेकिन फाइनेंसियल एजुकेशन नहीं दी जाती है। फाइनेंसियल एजुकेशन हम स्वयं से, पर्सनल फाइनेंस की बुक, ब्लॉग, यूट्यूब या अनुभवी फाइनेंसियल एडवाइजर की मदद से आसानी से सीखा जा सकता है। यदि हम अपने पैसों या धन को खर्च करना, उचित उपयोग करना, Invest करना, Control या Manage करना, सीख जाए तो जल्द ही हमारे इनसे जुड़ी सारी समस्या खत्म हो सकती है। आप जल्दी Financial रूप से फ्री हो सकते हैं और साथ ही अमीर भी बन सकते है।
Personal Finance क्या है?
इस प्रकार, "Personal Finance किसी व्यक्ति के उसके धन या पैसों से जुड़े आदत या व्यवहार जैसे कमाई, खर्चे, बचत, निवेश को नियंत्रित करके और साथ ही उनका उचित उपयोग करके अधिक से अधिक लाभ कैसे कमाया जाय यही सिखाता है।"
आइये इसे एक उदाहरण से समझते है: राम और श्याम की महीने की सैलरी क्रमशः 30000 रु. और 50000 रु. है। राम अपनी सैलरी का 50% अपने दैनिक जरूरी चीजों में, 10% अपने शौक में खर्च करते है और 40% यानी 12000 रु. बीमा और निवेश में खर्च करते है। वहीं दूसरी तरफ़ श्याम अपने 50% खर्चे दैनिक जरूरी चीजों में, 30% कार और होम लोन चुकाने में और 10% अपनी शौक़ को पूरा करने में और 10% यानी 5000 रुपये बीमा और निवेश में खर्च करते है। इस प्रकार यदि देखा जाए तो राम अपने पैसों का सही ढंग से उपयोग कर रहा है, क्योंकि श्याम के पास Liabilities या देनदारियाँ अधिक है और इसलिए कुछ वर्षों में राम के पास श्याम से अधिक धन होगा। देखा जाए तो धन को मैनेज करने का तरीका हरेक व्यक्ति का अलग अलग होता है, इसलिए इसे Personal Finance या व्यक्तिगत वित्त कहा जाता है।
Personal Finance की कैटेगरी:
दोस्तों Personal Finance को अच्छे से समझने के लिये हम इसे कुछ कैटेगरी में विभाजित कर सकते है:
1. Income: इस भाग में सैलरी, हाउस रेंट, एग्रीकल्चर इनकम, बिज़नेस इनकम, डिविडेंड, इंटरेस्ट, रायल्टी आदि को शामिल कर सकते है।
2. Expenses: इस कैटगरी में मंथली एक्सपेंसेस, राशन, शॉपिंग, बिल पेमेंट और जितने तरह के खर्चें है उसे शामिल कर सकते है।
3. Loan: इस कैटेगरी में विभिन्न प्रकार के लोन या कर्जें जैसे हाउस लोन, कार लोन, बाइक लोन, पर्सनल लोन और ऐसे बहुत से कर्जों को शामिल कर सकते है।
4. Saving: इस कैटेगरी में गुल्लक, हैंड कैश, बैंक में जमा पैसे।
5. Investment: इस कैटेगरी में गोल्ड, बांड, डिबेंचर्स, गवर्मेंट सिक्योरिटीज, NPS, म्यूच्यूअल फंड्स, शेयर्स, रियल स्टेट, बिज़नेस आदि।
6. Insurance: इसमें टर्म इन्सुरेंस, हेल्थ इन्सुरेंस, कार या बाइक इन्सुरेंस, प्रोपर्टी इन्सुरेंस और सभी प्रकार के इन्सुरेंस को शामिल कर सकते है।
7. Tax: इनकम टैक्स, प्रोपर्टी टेक्स और GST, TDS आदि।
8. Financial Planning: इस कैटेगरी में शादी, बच्चों की पढ़ाई, विदेश यात्रा, नई घर, नई कार, रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग, EMI आदि को शामिल कर सकते है।
उपरोक्त सभी कैटेगरी को अच्छे से समझ कर ही हम अपने पैसों को सही से मैनेज कर सकते है और जल्दी ही Financial Freedom हो सकते है। यदि इसे समय रहते नहीं समझे तो कोई न कोई फाइनेंसियल ट्रैप में फंस सकते है और जीवन भर गरीबी का सामना करना पड़ सकता है।
Personal Finance का महत्त्व:
पर्सनल फाइनेंस हमारे जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करता है। इसकी सही से जानकारी नहीं होने से हमें पैसों से जुड़ी समस्या का सामना जिंदगी भर करनी पड़ सकती है। इसके कुछ ऐसे बेसिक्स जिसे समझ कर आप जल्दी अमीर तो नहीं बनेंगे लेकिन देर सबेर अमीर भी बन सकते है और कम से कम फाइनेंसियली स्ट्रांग तो हो ही जायेंगे:
1. हमेशा अपने खर्चों को आमदनी से कम ही रखे। यदि आप आमदनी से अधिक खर्च करते है तो आप कभी भी अमीर नहीं बन सकते और साथ ही किसी न किसी फाइनेंसियल ट्रैप में जीवन भर फंसे रहेंगे|
2. कई लोग अपने इनकम से खर्च करने के बाद पैसे बचाने की सोचते है, लेकिन यह पैसे बचाने का सही तरीका नहीं है। जबकि अपने पैसों को सबसे पहले बचाने या सेविंग करने के बाद ही खर्च करने के लिए निकालनी चाहिए, तभी हम अनुशासित ढंग से पैसे बचा सकते है। जैसे आपकी सैलरी 40000 रु. मासिक है और आप 15000 रु. बचाना चाहते है तो पहले आप उसे अलग से निकालकर रख ले तब बचे 25000 रु. को खर्च करे।
3. शौक की चीजों को कभी भी EMI में न खरीदें। ऐसी चीज तभी खरीदें जब आपके पास उस वस्तु की कीमत से दो या तीन गुणा पैसे न हो जाये। जैसे: आपको 20 हजार रुपये की मोबाइल लेनी हो तो आपके पास कम से कम 40 से 60 हजार रुपये होना चाहिए।
4. हमे बेवजह लोन नहीं लेनी चाहिए। अति आवश्यक हो तो ही लोन लेनी चाहिए। खासकर शौक के लिए तो कभी नहीं, पर यदि कोई Asset खरीदनी हो या Business में इन्वेस्ट करना हो तो ये सही हो सकता है।
5. कई लोग इन्सुरेंस को ही इन्वेस्टमेंट समझते है और बहुत सारे जीवन बीमा पॉलिसी खरीद कर रख लेते है, जो कि गलत है। हमें इन्सुरेंस और इन्वेस्टमेंट की अंतर को अच्छे से समझ लेनी चाहिए। हमें इन्सुरेंस के रूप में टर्म इन्सुरेंस और पूरे परिवार का हेल्थ इन्सुरेंस जरूर लेनी चाहिए।
6. समय पर अपनी सभी टैक्स की भुगतान कर दें। ताकि बेवजह पेनाल्टी न भरनी पड़े।
7. आज तक कोई भी पैसों को बचाकर अमीर नहीं बने है, इसलिए इन्वेस्टमेंट करना जरूर सीखें और जल्दी ही इन्वेस्टमेंट करना शुरू करें। ताकि आप अपने पैसों को जल्दी ही दोगुना या तिगुना कर सके। आजकल शेयर मार्केट और म्यूच्यूअल फण्ड और अन्य निवेश के तरीके को इन्टरनेट, ब्लॉग, यूट्यूब आदि के माध्यम से आसानी से सीखा जा सकता है।
8. एक इमरजेंसी फण्ड जरूर रखें ताकि भविष्य में आने वाले अचानक कोई वित्तिय संकट से लड़ा जा सके।
9. हमें Asset और Liabilities के अंतर को अच्छे से समझना चाहिए। Asset हमें पैसा कमा के देती है, जबकि Liabilities हमारे जेब से पैसे निकालती है। जैसे: कार एक Liabilities है, क्योंकि इसमें पेट्रोल, इन्सुरेंस, मेंटेनेंस आदि का खर्च भी वहन करना पड़ता है। जबकि किसी कंपनी की शेयर्स एक Asset है, क्योंकि इससे डिविडेंड मिल सकते है और साथ ही शेयर्स को बढ़े हुए कीमत पर बेचकर प्रॉफिट भी कमा सकते है।
10. किसी एक इनकम पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। हमें एक से अधिक इनकम के स्रोत ढूंढ़ना चाहिए। सैलरी के अलावा हाउस या प्रोपर्टी रेंट, बिज़नेस इनकम, पोर्टफोलियो इनकम, डिविडेंड, इंटरेस्ट जैसे इनकम के स्रोत भी बना सकते है।
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