Smallcase क्या है? इसमें निवेश कैसे करें?

दोस्तों पैसे सेव और इन्वेस्ट करना इतना आसान होता तो आज अधिकतर लोग अमीर होते। सेविंग और इंवेस्टिंग में बहुत कठोर, अनुशासित होना पड़ता है, अभ्यास करके सीखना पड़ता है। जैसे जैसे डिजिटल तकनीक अपडेट होते जा रहे है, इन्वेस्ट करना काफी आसान होते जा रहे है। लेकिन नये लोगों को आज भी पैसे इन्वेस्ट करना काफी जटिल, मुश्किल और जोखिम भरा लग सकता है।


कई लोग स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना चाहते है, पर समय की कमी या जानकारी के अभाव में इन्वेस्ट नहीं कर पाते है। ये समस्या अब सुलझ चुकी है, क्योंकि अब आप Smallcase द्वारा आसानी से, कम समय में और थोड़े जानकारी से अपना एक अच्छा पोर्टफोलियो बना सकते है, जिसे मैनेज भी स्टॉक मार्केट के अनुभवी और सेबी रजिस्टर्ड एक्सपर्ट करते है। मेरे खयाल से अभी तक का इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट में सबसे नया इनोवेशन है।

दोस्तों Smallcase का नाम कभी न कभी सुने होंगे, अगर नहीं सुने होंगे तो कोई बात नहीं। इस आर्टिकल में जानेंगे कि Smallcase क्या है? ये कैसे काम करता है? इसमें निवेश कैसे करें? इसमें कितना चार्ज लगता है? आइये बिना देरी किये इसे जानते है...


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Smallcase क्या है? (What is Smallcase?)

स्मालकेस (Smallcase) कंपनी को अनुराग श्रीवास्तव और वसंत कामथ ने सन 2015 में शुरू किया था। यह एक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कंपनी (फिनटेक कंपनी) है, जो कि बेंगलुरु में स्थित है।

स्मालकेस (Smallcase) लोगों को रेडीमेड स्टॉक पोर्टफोलियो की सुविधा प्रदान करता है। इसमें स्टॉक्स पोर्टफोलियो को विभिन्न सेक्टर, थीम आदि में विविधीकरण (Diversification) किया जाता है, जिससे स्टॉक पोर्टफोलियो का रिस्क कम और रिटर्न ज़्यादा मिलने की संभावना बढ़ जाती है। जैसे- IT सेक्टर, ऑटोमोबाइल सेक्टर, हाई ग्रोथ कंपनी, हाई डिविडेंड पेआउट कंपनी, लार्जकैप, मिडकैप आदि। स्मालकेस में कंपनी का मुख्य काम पोर्टफोलियो का अच्छे से मैनेज करना होता है, ताकि लोग मार्केट से एक बड़ा प्रॉफिट कमा सके।

स्मालकेस (Smallcase) में विभिन्न रेडीमेड बास्केट (स्टॉक्स पोर्टफोलियो का समूह) होता है, जिसमें 2 से 50 तक के स्टॉक्स हो सकते है। ये बास्केट थीम या सेक्टर आदि के आधार पर तैयार किये होते है। इस रेडीमेड पोर्टफोलियो या बास्केट को सेबी रजिस्टर्ड एक्सपर्ट के द्वारा तैयार किये जाते है। बास्केट में आप अपने हिसाब या समझ से भी कस्टमाइज कर सकते है। यानी किसी स्टॉक्स में इन्वेस्ट की वैल्यू कम या ज्यादा अपने अनुसार सेट कर सकते है।


Smallcase कैसे काम करता है? (How Smallcase works?)

स्मालकेस (Smallcase) में पोर्टफोलियो का एक समूह होता है, जिसे बास्केट कहा जाता है। ये बास्केट सेक्टर या थीम पर आधारित होते है। इन्वेस्टर इन्ही बास्केट को सेलेक्ट कर एकमुश्त (Lumpsum) या SIP (Systematic Investment Plan) दोनों तरीकों से इन्वेस्ट कर सकते है। बास्केट में अलग अलग कंपनी के 2 से 50 तक के शेयर्स या स्टॉक्स और ETF (Exchange traded fund) फंड हो सकते है। बास्केट में उपलब्ध शेयर्स को इन्वेस्टर अपने हिसाब से भी सेट कर सकते है।



Smallcase में निवेश कैसे करें? (How to Invest in Smallcase?)

सबसे पहले स्मालकेस (Smallcase) में निवेश करने के लिए आपके पास एक डीमैट और ट्रेडिंग एकाउंट होना चाहिए। स्मालकेस में चुनिंदा ब्रोकर के एकाउंट से ही लॉगिन कर इन्वेस्ट कर सकते है। जैसे- 5 Paisa, Angel One, HDFC Securities, Kotok Securities, Upstox, Zerodha, Alice Blue, Axis Direct, Edelweiss, IIFL Sec, Motilal Oswal & Trustline.

निम्न स्टेप से शुरुवात करें-

1. सबसे पहले वेबसाइट (www.smallcase.com) या मोबाइल एप्प पर अपने ब्रोकर (जैसे- Zerodha, Upstox) के ID और पासवर्ड से लॉगिन करें।


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2. उसके बाद अपनी पसंद की बास्केट को सेलेक्ट करें, जैसे- All Weather Investing, Equity & Gold, Top 100 Stocks, Equity & Debt आदि या अपनी खुद की स्मालकेस बास्केट क्रिएट करें।



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3. उसके बाद Conform Investment Amount में Monthly Amount या One time को चुने और Confirm Amount पर क्लिक करें।


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4. खरीदारी के बाद ये सभी स्टॉक्स आपकी ट्रेडिंग एकाउंट के प्लेटफार्म में दिखाई देने लगते है। जिसे कभी भी बेच भी सकते है।

इस प्रकार आप बहुत ही आसान तरीके से स्मालकेस के द्वारा शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर सकते है और अपना एक अच्छा पोर्टफोलियो बना सकते है।


Smallcase के शुल्क (Charges)

स्मालकेस (Smallcase) में आपसे खरीदारी के समय केवल ₹100 +GST का एकमुश्त शुल्क लिया जाता है। यह राशि ट्रेडिंग एकाउंट से काट ली जाती है। अन्य वैधानिक शुल्क STT, डीमैट, ब्रोकरेज और टैक्स हमेशा की तरह लागू होते है। भविष्य के किसी आर्डर या स्मालकेस से बाहर निकलने के लिये शुल्क नहीं लिये जाते है।


Smallcase के फायदे (Benefits of Smallcase)

1. Portfolio Expert: स्मालकेस में अनुभवी और सेबी रजिस्टर्ड एक्सपर्ट के द्वारा बास्केट या पोर्टफोलियो तैयार किये जाते है, जो कि अधिक विश्वसनीय होते है।

2. Liquidity: स्मालकेस में आप सीधे शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर रहे होते है, इसलिए इसे कभी भी buy या sell कर सकते है। यानी तरलता अधिक होती है।

3. Diversification: इसके बास्केट या पोर्टफोलियो में शेयर्स की विविधता होती है, जिससे वोलैटिलिटी कम हो जाता है। अतः इससे जोखिम कम हो जाते है।

4. No Lock in Period: इसमें म्यूच्यूअल फण्ड की तरह लॉक इन पीरियड्स नहीं होते है। इसे कभी भी sell कर सकते है।

5. Charges: स्मालकेस में इन्वेस्ट करना म्यूच्यूअल फण्ड से बहुत कम चार्ज देना होता है। स्मालकेस में आपसे खरीदारी के समय केवल ₹100 +GST का एकमुश्त शुल्क लिया जाता है। जबकि म्यूच्यूअल फण्ड में प्रतिदिन एक्सपेंन्स रेशियों लगता है।

6. Return: चूंकि म्यूच्यूअल फण्ड में यूनिट्स मिलते है, जबकि स्मालकेस में सीधे शेयर में इन्वेस्ट कर रहे होते है, यह हमारे डीमैट एकाउंट में जमा होते हैं। इसलिए इसमें रिटर्न भी म्यूच्यूअल फण्ड की तुलना में अधिक हो सकती है।

7. Control: स्मालकेस में आपके इन्वेस्टमेंट में ज्यादा कंट्रोल होता है, जबकि म्यूच्यूअल फण्ड में आपके पास ज्यादा कंट्रोल नहीं होता है।

8. Transparency: इसमें पारदर्शिता होता है, स्मालकेस बास्केट खरीदने के तुरंत बाद आप अपने इन्वेस्ट को अपने ट्रेडिंग एकाउंट में देख और कंट्रोल कर सकते है।



आशा है दोस्तों इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद Smallcase क्या है? ये कैसे काम करता है? इसमें निवेश कैसे करें? इसमें कितना चार्ज लगता है? सवालों के जवाब आपको आसानी से मिल गया होगा। अंत तक पढ़ने के लिये दिल से धन्यवाद!



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