सपोर्ट और रजिस्टेंस क्या है? Support & Resistance (S & R) Analysis in Hindi

दोस्तों यदि आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट या ट्रेडिंग करते है तो आपको सपोर्ट और रजिस्टेंस की समझ होना ही चाहिए, तभी आप प्रॉफिट कमा सकते है। इस आर्टिकल में जानेंगे कि सपोर्ट और रजिस्टेंस क्या है? Support and Resistance (S & R) Analysis in Hindi. तो चलिए बिना देरी किये इसे विस्तार से समझते है।

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सपोर्ट और रजिस्टेंस (Support & Resistance) क्या है?

सपोर्ट और रजिस्टेंस शेयर मार्केट में टेक्निकल एनालिसिस में उपयोग होने वाला एक महत्वपूर्ण Tool है, जहाँ इन्वेस्टर और ट्रेडर्स इस लेवल्स पर शेयर्स या इंडेक्स buy या sell का डिसीजन लेते है। यह मार्केट में होने वाले सप्लाई (Supply) या डिमांड (Demand) पर आधारित होते है।


सपोर्ट (Support):

सपोर्ट का मतलब सहायता या सहारा देना होता है। चार्ट में देखते है कि जब किसी शेयर्स की सप्लाई अधिक होती है तो उसकी प्राइस कम होने लगता है और कम होने के बाद किसी एक जगह या पॉइंट पर शेयर प्राइस बढ़ने लगता है। जिस जगह या पॉइंट से शेयर की प्राइस बढ़ता है, उसे सपोर्ट पॉइंट कहते है। तब मार्केट में तेजी (Bullish) आ जाता है।

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रजिस्टेंस (Resistance):

रजिस्टेंस का मतलब अवरोध होता है। चार्ट में दिखाई देता है कि जब किसी शेयर्स की डिमांड अधिक होता है तो उस शेयर्स की कीमत बढ़ने लगता है और बढ़ने के बाद किसी एक जगह या पॉइंट पर जाकर शेयर प्राइस कम होने लगता है। जिस जगह या पॉइंट से शेयर प्राइस कम होता है, उसे रजिस्टेंस पॉइंट कहते है। इसके बाद मार्केट में मंदी (Bearish) आ जाता है।


सपोर्ट और रजिस्टेंस उपयोग (Uses of Support and Resistance):

1. सपोर्ट और रजिस्टेंस से किसी शेयर्स, इंडेक्स या ट्रेड में कब एंट्री करना है? यानी entry point पता लगा सकते है।

2. इसके द्वारा हम किसी शेयर्स, इंडेक्स या ट्रेड में कब बाहर निकलना है? यानी exit point पता लगा सकते है।

3. इसके द्वारा हम किसी ट्रेड में Profit और Loss का Limit सेट कर सकते है।




सपोर्ट और रजिस्टेंस के प्रकार (Type of Support and Resistance):

1. हॉरिजॉन्टल सपोर्ट और रजिस्टेंस (Horizontal Support and Resistance)
2. ट्रेनडिंग सपोर्ट और रजिस्टेंस (Trending Support and Resistance)



1. हॉरिजॉन्टल सपोर्ट और रजिस्टेंस (Horizontal Support and Resistance):

हॉरिजॉन्टल सपोर्ट (Horizontal Support): चार्ट में देखते है कि किसी शेयर की प्राइस नीचे जाते हुए किसी एक लेवल पर आकर वापस शेयर की प्राइस बढ़ने लगता है और कुछ समय बाद फिर शेयर की प्राइस कम होने लगता है फिर वह अपने पुराने लेवल या उसके आसपास अपना सपोर्ट लेकर फिर से प्राइस बढ़ने लगता है। और इसी तरह यदि तीसरी बार भी प्राइस उसी लेवल पर आकर प्राइस पुनः बढ़ने लगता है, तो उसे Major Support कहते है, इससे पहले और दूसरे वाले सपोर्ट को क्रमशः Minor और Strong Support कहते है। ये जरूरी नहीं कि दो या तीन सपोर्ट बने, चार्ट में तीन से भी अधिक सपोर्ट बन सकते है। जितनी अधिक बार सपोर्ट बनेगा, उसे उतना ही मजबूत सपोर्ट माना जाता है। यहाँ पर प्राइस से यह संकेत मिलता है कि मार्केट में सप्लाई की तुलना में डिमांड अधिक है, इसलिए प्राइस सपोर्ट को तोड़कर नीचे नहीं जा पाता है। यह तेजी (Bullish) का संकेत होता है।


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हॉरिजॉन्टल रजिस्टेंस (Horizontal Resistance): चार्ट में देखते है कि शेयर प्राइस बढ़ते हुए किसी एक जगह या लेवल पर रुक जाता है और वहाँ से शेयर प्राइस कम होने लगता है, इस पहले रजिस्टेंस को Minor रजिस्टेंस कहते है। फिर कुछ समय बाद प्राइस वापस मुड़कर बढ़ने लगता है और वह फिर अपने पुराने लेवल को पार नहीं कर पाता है, वहीं से फिर प्राइस कम होने लगता है, इस दूसरे रजिस्टेंस को Strong रजिस्टेंस कहते है। इसी प्रकार यदि प्राइस पुनः तीसरी बार उसी जगह या आसपास रजिस्टेंस बनाता है, तो उसे Major रजिस्टेंस कहते है। यह तीसरा रजिस्टेंस बहुत ही मजबूत होता है। ये जरूरी नहीं कि तीन रजिस्टेंस बने तीन से भी अधिक रजिस्टेंस बन सकते है। यहाँ पर प्राइस से यह संकेत मिलता है कि मार्केट में डिमांड की तुलना में सप्लाई अधिक है, इसलिए प्राइस रजिस्टेंस तोड़कर आगे नहीं बढ़ पाता है। यह मंदी (Bearish) का संकेत होता है।

एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जब हॉरिजॉन्टल सपोर्ट और रजिस्टेंस बनते है तो 2 सपोर्ट या 2 रजिस्टेंस के बीच कम से कम 7 या 8 कैंडल का गैप या अंतर जरूर होना चाहिए, नहीं तो यह सपोर्ट और रजिस्टेंस लेवल नहीं माना जाता है।




2. ट्रेनडिंग सपोर्ट और रजिस्टेंस (Trending Support and Resistance):

ट्रेनडिंग सपोर्ट (Trending Support): यदि चार्ट में दिखाई देता है कि मार्केट या प्राइस अपट्रेंड में चलना स्टार्ट हुआ है और अपट्रेंड में चलते चलते पहला सपोर्ट मिलता है। इसके बाद दूसरा सपोर्ट बनता है, लेकिन यह सपोर्ट पहले सपोर्ट की तुलना में ऊपर की ओर होता है। अब जब दो सपोर्ट पॉइंट को मिलाते हुए एक ट्रेंड लाइन ड्रा करेंगे तो जब भी तीसरा सपोर्ट बनेगा वह उस ट्रेंड लाइन को जरूर टच करते हुए बनेगा। तीसरा सपोर्ट पॉइंट की संभावना बहुत ही अधिक होता है। इस प्रकार सपोर्ट बनने से मार्केट का बुलिश होने का संकेत मिलता है।

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ट्रेनडिंग रजिस्टेंस (Trending Resistance): यदि चार्ट में दिखाई देता है कि मार्केट या प्राइस डाउन ट्रेंड में चलना प्रारंभ हुआ है और डाउन ट्रेंड में चलते हुए पहला और उसके बाद दूसरा रजिस्टेंस बनाता है। ध्यान रहे कि दूसरा रजिस्टेंस पहले रजिस्टेंस से नीचे बनता हो। अब यदि दोनों रजिस्टेंस के हाई को टच करते हुए ट्रेंड लाइन ड्रा करेंगे तो जब भी तीसरा रजिस्टेंस बनेगा, ट्रेंड लाइन को टच करते हुए बनेगा, इसकी संभावना बहुत ही मजबूत होती है।

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जब सपोर्ट रेसिस्टेन्स बन जाए (When Support Becomes Resistance): यदि चार्ट में यह दिखाई दे कि जब प्राइस एक सपोर्ट बनाता है और उसके कुछ समय बाद सपोर्ट को तोड़कर प्राइस नीचे चला जाता है। मतलब यह कि जहाँ पर पहले सपोर्ट बना था अब वही लेवल पर रजिस्टेंस बनाता है। ऐसी स्थिति बनने के बाद हमे मार्केट में बिकवाली करने का संकेत मिलता है। यह मजबूत मंदी का संकेत होता है।


जब रेसिस्टेन्स सपोर्ट बन जाए (When Resistance Becomes Support): यदि चार्ट में यह दिखाई दे कि जब प्राइस एक रजिस्टेंस बनाता है और उसके कुछ समय पश्चात रजिस्टेंस को तोड़कर प्राइस ऊपर की ओर चला जाता है अर्थात जहाँ पर पहले रजिस्टेंस बना था, अब उसी लेवल या आसपास सपोर्ट बनाता है। मतलब की रजिस्टेंस अब सपोर्ट बन गया है। ऐसे सपोर्ट बनने के बाद हमे मार्केट में खरीदी करने का अवसर मिलता है। यह एक मजबूत तेजी का संकेत होता है।

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सपोर्ट और रजिस्टेंस ब्रेकआउट (Support and Resistance Breakout's):


हॉरिजॉन्टल सपोर्ट और रजिस्टेंस ब्रेकआउट (Horizontal Support and Resistance Breakout's): जब चार्ट में हॉरिजोंटल सपोर्ट बनता है, चाहे वो सपोर्ट पॉइंट 1- 2 - 3 या 3 से अधिक हो। जब प्राइस हॉरिजोंटल सपोर्ट लाइन के नीचे जाकर क्लोजिंग दे तो इसे हम हॉरिजोंटल सपोर्ट का ब्रेकआउट कहते है। इसके बाद मार्केट में मंदी की शुरुआत हो जाती है।

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इसके ठीक विपरीत जब चार्ट में हॉरिजोंटल रजिस्टेंस बनता है, तो चाहे वो एक साथ 1- 2- 3 या 3 से अधिक हो। जब प्राइस हॉरिजोंटल रजिस्टेंस लाइन के ऊपर जाकर क्लोजिंग दे तो इसे हम हॉरिजोंटल रजिस्टेंस का ब्रेकआउट कहते है। इसके बाद मार्केट में तेजी की शुरुवात हो जाती है।


ट्रेनडिंग सपोर्ट और रजिस्टेंस ब्रेकआउट (Trending Support and Resistance Breakout's): जब चार्ट में ट्रेनडिंग सपोर्ट बनता है और इसके बाद तीसरा ट्रेनडिंग सपोर्ट जब ट्रेंड लाइन के नीचे closing दे तो इसे ट्रेनडिंग सपोर्ट का ब्रेकआउट कहते है। इसके बाद मार्केट में मंदी की शुरुवात होती है।

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जब चार्ट में ट्रेनडिंग रजिस्टेंस बनता है और इसके बाद तीसरा ट्रेनडिंग रजिस्टेंस जब ट्रेंड लाइन के ऊपर closing दे तो इसे ट्रेनडिंग रजिस्टेंस का ब्रेकआउट कहा जाता है। इसके बाद मार्केट में तेजी की शुरुवात होती है।
दोस्तों सपोर्ट और रजिस्टेंस के साथ टाइम फ्रेम का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि यह हरेक टाइम फ्रेम में बनते है और हरेक टाइम फ्रेम में काम करते है।



सपोर्ट और रजिस्टेंस के साथ खरीदी-बिक्री कैसे करे?
How to buy and sell with support and resistance?

ट्रेनडिंग सपोर्ट के साथ खरीदी करने के लिए यह देखें कि जब चार्ट में तीसरा ट्रेनडिंग सपोर्ट बने तो जिस कैंडल में ट्रेनडिंग सपोर्ट बने उसके ठीक ऊपर वाले कैंडल में खरीदी करना है और खरीदी के तुरंत बाद जिस कैंडल में तीसरा सपोर्ट बन रहा है उसी कैंडल के Low के नीचे पर Stop Loss लगाये। इसी दौरान एक बात पर जरूर ध्यान दे कि खरीदी करने के पॉइंट और स्टॉप लॉस के पॉइंट के बीच 2% का रिस्क रिवार्ड रेशियों के नियम का पालन करें। अगर यह अंतर 2% के नियमानुसार नहीं है तो ट्रेड नहीं लेना चाहिए। ट्रेड लेने के बाद Trailing Stop Loss का उपयोग करें। इसके बाद आपको प्रॉफिट बुक करने के लिए यह देखना है कि या तो आपका Trailing Stop Loss हिट हो जाये या फिर चार्ट में जब कोई नेगेटिव सिग्नल बन जाये तो तुरंत प्रॉफिट बुक कर सकते है। तो इस प्रकार ट्रेनडिंग सपोर्ट के साथ खरीदी कर सकते है।

ट्रेनडिंग रेजिस्टेंस के साथ बिक्री करने के लिए यह देखें कि जब चार्ट में तीसरा ट्रेनडिंग रजिस्टेंस बने तो जिस कैंडल में ट्रेनडिंग रजिस्टेंस बने उसके ठीक नीचे वाले कैंडल में बिक्री करना है और बिक्री करने के तुरंत बाद जिस कैंडल में तीसरा रजिस्टेंस बन रहा है उसी कैंडल के High के ऊपर Stop Loss लगाये। इसी दौरान एक बात पर जरूर ध्यान दे कि बिक्री करने के पॉइंट और स्टॉप लॉस के पॉइंट के बीच 2% का रिस्क रिवार्ड रेशियों के नियम का पालन करें। अगर यह अंतर 2% के नियमानुसार नहीं है तो ट्रेड नहीं लेना चाहिए। ट्रेड लेने के बाद Trailing Stop Loss का उपयोग करें। इसके बाद आपको प्रॉफिट बुक करने के लिए यह देखना है कि या तो आपका Trailing Stop Loss हिट हो जाये या फिर चार्ट में जब कोई नेगेटिव सिग्नल बन जाये तो तुरंत प्रॉफिट बुक कर सकते है। तो इस प्रकार ट्रेनडिंग रजिस्टेंस के साथ बिक्री कर सकते है।


उपरोक्त नियमानुसार हम निम्न स्थितियों में भी खरीदी-बिक्री कर सकते है-

1. हॉरिजोंटल सपोर्ट के साथ खरीदी करना होता है।
2. हॉरिजोंटल रजिस्टेंस के साथ बिक्री किया जाता है।
3. ट्रेनडिंग सपोर्ट के ब्रेकआउट के बाद बिक्री करना होता है।
4. ट्रेनडिंग रजिस्टेंस के ब्रेकआउट के बाद खरीदी करना होता है।
5. हॉरिजोंटल सपोर्ट के ब्रेकआउट के बाद बिक्री किया जाता है।
6. हॉरिजोंटल रजिस्टेंस के ब्रेकआउट के बाद खरीदी करना होता है।
7. जब रजिस्टेंस सपोर्ट बन जाये तो खरीदी करना होता है।
8. जब सपोर्ट रजिस्टेंस बन जाये तो बिक्री करना होता है।

सपोर्ट और रजिस्टेंस के कॉन्सेप्ट को और आसानी से समझने के लिए Mr. Vijay Rathore के YouTube चैनल Technical Analysis in Hindi को देखकर आसानी से समझा जा सकता है। विडियो देखने के लिए यहाँ नीचे क्लिक करे-




निष्कर्ष (Conclusion):

सपोर्ट और रजिस्टेंस टेक्निकल एनालिसिस का एक महत्वपूर्ण टूल जरूर है, लेकिन सिर्फ इसी के सहारे ट्रेड नहीं लिया जा सकता है। इसके साथ और भी इंडिकेटर, कैंडलस्टिक पैटर्न आदि का भी उपयोग करना चाहिए। एक बात जरुर याद रखना चाहिए कि कोई भी टेक्निकल एनालिसिस का टूल या कोई अन्य तरीका 100% सही नहीं हो सकता है। ज्यादा से ज्यादा किसी टेक्निकल एनालिसिस की एक्यूरेसी 70% तक सही हो सकता है। ये बात सपोर्ट और रजिस्टेंस में भी लागू होता है


उम्मीद है दोस्तों सपोर्ट और रजिस्टेंस क्या है? Support & Resistance (S & R) Analysis in Hindi. आपको आसानी से समझ आया होगा। जानकारी अच्छा लगा हो तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। धन्यवाद!



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