अक्सर हम सुनते है कि स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग से बहुत से लोग लाखों कमा रहे है और ऐसा भी नहीं कि सिर्फ कमा रहे है, लोग लाखों गवां भी रहे होते है। आज की इस आर्टिकल में जानेंगे कि शेयर या स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग क्या है? ट्रेडिंग कितने प्रकार के होते है? तो चलिए बिना देरी किये जानते है..
स्टॉक मार्केट में पहले पेपर ट्रेडिंग हुआ करता था यानी पेपर या डॉक्यूमेंट के आधार पर, लेकिन नई तकनीक कंप्यूटर और इंटरनेट आ जाने के बाद ट्रेडिंग पूरी तरह ऑनलाइन हो गई है। भारत में अप्रैल 2000 से ऑनलाइन ट्रेडिंग प्रारंभ हुई है। इसके बाद से आप दुनिया के किसी भी कोने से कम्प्यूटर, टेबलेट या मोबाईल और इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकते है।
Trading क्या है?
Trading का अर्थ हिंदी में व्यापार होता है, जिसका मतलब होता है कि किसी वस्तु को कम कीमत पर खरीदना और फिर बढ़े हुए कीमत में बेच देना, जिससे प्रॉफिट हो सके। जिस प्रकार किसी वस्तु या सेवा को खरीदी-बिक्री करके प्रॉफिट कमाया जाता है, उसी प्रकार स्टॉक मार्केट में भी किसी कंपनी के शेयर या इंडेक्स को खरीदी-बिक्री करके प्रॉफिट कमाया जाता है, इसे ही स्टॉक मार्केट या शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कहा जाता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा तो इंवेस्टिंग में भी होता है, तो ये भी सही है। स्टॉक मार्केट में किसी शेयर को कुछ मिनट, कुछ घण्टे, कुछ दिन, सप्ताह, महीने या एक साल अंदर खरीदी बिक्री करना, ट्रेडिंग कहलाता है। जबकि इंवेस्टिंग में किसी शेयर्स को एक साल, 5 साल, 10 साल, 15 साल या इससे भी अधिक समय के लिए होल्ड किया जाता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग अनेक तरीकों से किया जाता है। कौन सी ट्रेडिंग स्टाइल किसी ट्रेडर के लिए अच्छा या बुरा है, इसे ट्रेडर स्वयं ही निर्णय ले सकता है। ट्रेडर अपने रिस्क लेने की क्षमता, टेक्निकल एनालिसिस, साइकॉलोजी, इमोशन, समझ और स्किल्स आदि के आधार पर अनेक प्रकार से ट्रेडिंग कर सकते है। ये कहना गलत होगा कि फला ट्रेडिंग स्टाइल अच्छा या बुरा है। असल में हम किसी भी ट्रेडिंग स्टाइल को अच्छा या बुरा नहीं मान सकते है। ट्रेडिंग में एक बात और है कि किसी एक ट्रेडर के लिए जो ट्रेडिंग स्टाइल सही काम कर सकता है, वो जरूरी नहीं कि किसी दूसरे ट्रेडर के लिए भी वही काम करेगा।
ज्यादातर शेयर मार्केट में नये लोग ट्रेडिंग से शुरुवात करते है, क्योंकि कम समय में ज्यादा प्रॉफिट कमाया जा सकता है और साथ ही कुछ समय में अपनी पूरी कैपिटल भी गवां सकते है। ट्रेडिंग स्टॉक्स या शेयर्स के अलावा दूसरे एसेट में भी किया जाता है। जैसे- डेरिवेटिव्स (फ्यूचर और ऑप्शन), करेंसी, कमोडिटी और क्रिप्टो आदि में।
Types of Trading
आइये अब जाने की ट्रेडिंग कितने तरीकों से कर सकते है-
Scalping Trading
स्कलपिंग ट्रेडिंग में किसी शेयर या इंडेक्स को कुछ सेकंड से कुछ मिनट के अंदर खरीदा-बेचा जाता है, जिससे कम समय में ही ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कमाया जा सके। इस तरीके से मार्केट में छोटे छोटे मूवमेंट को समझ कर अधिक से अधिक प्रॉफिट कमाया जा सकता है। एक दिन में ही स्कलपिंग ट्रेडिंग कई बार किया जा सकता है। ये ट्रेडिंग हाई रिस्की और हाई रिवार्ड वाले होते है।
उदाहरण के लिए किसी शेयर की करेंट प्राइस 100 रुपये है और कुछ मिनट में ही ये शेयर 105 रुपये हो जाये तो इसे बेचकर 5 रुपये का लाभ कमाया जा सकता है। स्कलपिंग ट्रेडिंग में बहुत अधिक मात्रा में शेयर खरीदने पर ही ज्यादा लाभ कमा सकते है। इसमें दो चार शेयर खरीद कर अधिक लाभ नहीं कमा सकते।
BTST or STBT Trading
BTST or STBT Trading इसे Buy Today Sell Tomorrow Trading या Sell Today Buy Tomorrow Trading कहा जाता है। इस प्रकार के ट्रेडिंग में किसी शेयर को पहले दिन खरीद या बेच कर अगले दिन मार्केट खुलते ही खरीदा या बेचा जाता है, जिससे प्रॉफिट कमाया जा सके।
उदाहरण के लिए कोई शेयर कि करेंट प्राइस 100 रुपये है, जिसे टेक्निकल एनालिसिस के मदद से प्रेडिक्ट करे कि कल सुबह तक 110 रुपये तक बढ़ने की संभावना है तो इससे 10 रुपये प्रति शेयर प्रॉफिट कमाया जा सकता है। इस प्रकार पहले दिन शेयर खरीद कर अगले दिन मार्केट खुलते ही बेच दिया जाता है।
Intraday Trading or Day Trading
इस प्रकार के ट्रेडिंग में मार्केट खुलने के सुबह 9.15 AM से मार्केट बंद होने से पहले शाम 3.30 PM तक के बीच के समय में शेयर्स की खरीदी बिक्री किया जाता है।
जैसे किसी कंपनी के करंट शेयर प्राइस 100 रुपये है और आपको लगता है कि ये 2 से 4 घंटों में शेयर की प्राइस बढ़कर 105 रुपये हो जाएगा, खरीदने के पश्चात चाहे शेयर की प्राइस बढ़े या घटे इसे मार्केट बंद (शाम 3.30 PM) होने से पहले बेचना पड़ेगा। इसे ही इंट्राडे ट्रेडिंग या डे ट्रेडिंग कहा जाता है। ये ट्रेडिंग भी स्कलपिंग ट्रेडिंग की तरह हाई रिस्की और हाई रिवार्ड वाले होते है।
Swing Trading
स्विंग ट्रेडिंग में किसी शेयर को कम प्राइस में खरीदकर एक सप्ताह या कुछ दिन तक होल्ड किया जाता है, जब शेयर की प्राइस बढ़ जाता है, तब उसे बेच कर प्रॉफिट कमा सकते है। स्विंग ट्रेडिंग स्कलपिंग ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग से कम रिस्की होते है। इस ट्रेडिंग में ज्यादा कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठकर लगातार चार्ट पर देखने की जरूरत भी नहीं होता है। इसे किसी पार्ट टाइम जॉब या side hustle के रुप में कर सकते है। ये जॉब करने वालों के लिए बेहतर हो सकता है।
स्विंग ट्रेडिंग फ्यूचर और ऑप्शन में ज्यादा प्रसिद्ध है। इस ट्रेडिंग में शार्ट टर्म यानी 2 से 14 दिन की टाइम फ्रेम के अंदर खरीदना और बेचना होता है।
Positional Trading
पोजिशनल ट्रेडिंग में किसी शेयर को खरीद कर कुछ सप्ताह या कुछ माह या एक साल के अंदर बेचा जाता है। इसमें घंटों बैठकर चार्ट देखने की जरूरत नहीं होती है, बल्कि एक दो दिन में चार्ट की एनालिसिस कर सकते है। ये ट्रेडिंग स्कलपिंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग से कम रिस्की होते है।
मान लो किसी कंपनी की शेयर 100 रुपये है और टेक्निकल एनालिसिस की मदद से प्रेडिक्ट किये कि कुछ सप्ताह या कुछ माह में शेयर की प्राइस 150 रुपये हो जाएगा। इस प्रकार ट्रेड सेट करने से 50 रुपये प्रति शेयर प्रॉफिट मिलने की संभावना रहेगा।
Momentum Trading
मोमेंटम ट्रेडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें ट्रेडर हाल ही के प्राइस ट्रेंड्स के अनुसार खरीदी-बिक्री करते है। ये ट्रेंड्स आधारित ट्रेडिंग होता है, अपट्रेंड और डाउनट्रेंड को पहचान कर ट्रेड लिया जाता है। मोमेंटम ट्रेडिंग में किसी शेयर या इंडेक्स में एक निश्चित समय पर ब्रेकआउट होने पर भी ट्रेड लिया जाता है। ब्रेकआउट कई आधार पर होते है, जैसे- चार्ट पैटर्न ब्रेकआउट, वॉल्यूम ब्रेकआउट, प्राइस ब्रेकआउट, कैंडलस्टिक पैटर्न ब्रेकआउट आदि।
उदाहरण के लिए यदि कोई शेयर की प्राइस पिछले कुछ दिनों या सप्ताहों या महीनों से 95 या 100 रुपये के नीचे ट्रेड कर रहें हो। बार-बार शेयर की प्राइस 95 या 100 रुपये के लेवल को छूकर नीचे आ जाते हो। जब शेयर प्राइस 100 से 105 या 110 रुपये हो जाता है, तब प्राइस ब्रेकआउट माना जायेगा। इस प्रकार शेयर की प्राइस 100 रुपये को पार (Break) करने पर 105 या 110 रुपये से ऊपर भी जा सकता है। इसे प्रेडिक्ट करके ट्रेडर मोमेंटम ट्रेडिंग का निर्णय लेते है।
Algo Trading
अल्गो ट्रेडिंग कंप्यूटर प्रोग्रामिंग पर आधारित ट्रेडिंग होता है। इस ट्रेडिंग में कंप्यूटर पर पहले से प्रोग्राम सेट कर दिए जाते है, जिसके आधार पर शेयर ऑटोमेटिक buy या sell हो जाता है। यहां शेयर का buy या sell केवल तर्क (logic) के आधार पर होता है, भावनाओं (Emotions) का बिल्कुल रोल नहीं होता है।
उदाहरण के लिए किसी शेयर का करेंट मार्केट प्राइस 500 रुपये है, अब अल्गोरिथम या लॉजिक सेट कर दिया जाय कि जब शेयर प्राइस 400 हो जाये तो 50 शेयर buy हो जाये और जब शेयर प्राइस 600 रुपये हो जाये तो 30 शेयर sell हो जाये। इस तरह कंप्यूटर को दिये गए निर्देश अनुसार ट्रेड ऑटोमेटिक एक्जिक्यूट हो जाता है, इसमें हमें दिन भर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठने की जरुरत नहीं पड़ता है।
Arbitrage Trading
आर्बिट्राज ट्रेडिंग में दो अलग-अलग एक्सचेंज में लिस्ट शेयर प्राइस में होने वाले अंतर की मदद से प्रॉफिट कमाया जाता है। अधिकतर कंपनियों के शेयर्स दोनो एक्सचेंजों नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में लिस्ट होते है।
मान लीजिए कि किसी शेयर की प्राइस BSE में 100 रुपये है और NSE में 100.50 रुपये है, तो इसी प्राइस में अंतर (0.50 रुपये प्रति शेयर) का फायदा उठाया जाता है। इसमें बहुत अधिक क्वांटिटी में और कम समय के लिए शेयर्स खरीदना और बेचना होता है, तभी ट्रेडर को प्रॉफिट होता है।
News or Event Trading
जब किसी कंपनी के शेयर्स की खरीदी बिक्री उस कंपनी के अच्छे या बुरे न्यूज़ या फिर किसी इवेंट के आधार पर ट्रेडिंग की जाती है, तो उसे न्यूज़ या इवेंट ट्रेडिंग कहा जाता है।
मान लीजिये कि किसी कंपनी AB Ltd का तिमाही रिजल्ट अपने पिछले तिमाही से बहुत ही अच्छे आये हो या हो सकता है कि कम्पनी एक और नई प्लांट लगाने की घोषणा किये हो, तो ऐसे में उस शेयर की प्राइस बढ़ सकता है, ट्रेडर्स इसी आधार पर उस शेयर को buy करने का निर्णय ले सकते है और प्रॉफिट कमा सकते है।
Investing
यदि किसी कंपनी की शेयर को एक साल से अधिक समय के लिए होल्ड किया जाय तो यह ट्रेडिंग नहीं बल्कि इंवेस्टिंग माना जाता है। इंवेस्टिंग में शेयर्स को एक वर्ष से अधिक या 5 या 15 या 20 वर्ष से भी अधिक समय तक होल्ड किया जा सकता है। इंवेस्टिंग से लॉन्ग टर्म में अच्छा वेल्थ बनाया जा सकता है। इसमें नुकसान होने की संभावना ट्रेडिंग के मुकाबले काफी कम होता है। दुनियाँ के सबसे अमीर व्यक्ति में से एक वारेन बफ़ेट इंवेस्टिंग से ही अमीर बने है। आज उनकी कंपनी बर्क शायर हथवे का शेयर दुनियाँ के सबसे महंगे शेयर है।
निष्कर्ष (Conclusion)
एक ट्रेडर के लिए कौन सा ट्रेडिंग स्टाइल सही है, वो खुद ही मार्केट की जानकारी, समझ और अपने व्यक्तित्व के आधार पर तय कर सकते है। ट्रेडिंग कोई साइंस नहीं बल्कि यह एक कला है और कला सबका अलग-अलग हो सकता है।
आशा है दोस्तों Trading क्या है? Trading कितने प्रकार के होते है? आर्टिकल आपको आसानी से समझ आया होगा। यदि इसे रिलेटेड कोई सवाल हो तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।
धन्यवाद!
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