शेयर ख़रीदते समय कंपनी की एनालिसिस कैसे करे?

दोस्तों हम शेयर मार्केट में अच्छा प्रॉफिट तभी कमा सकते है, जब हम लंबे समय तक किसी अच्छी कंपनी में इन्वेस्ट करें। अच्छी कंपनियां टाइम के साथ अपनी प्रॉफिट बढ़ाती जाती है, इसके साथ ही शेयर प्राइस भी बढ़ती जाती है। अब सवाल यह कि हम किसी अच्छी कंपनियों में कैसे इंवेस्ट कर सकते है। इसी सवाल का जवाब इस आर्टिकल में जानने की कोशिश करेंगे।

Art Of Investing

भारत के जाने माने इन्वेस्टर विजय केडिया के अनुसार BSE और NSE में लिस्टेड लगभग 7500 कंपनियों में से 500 कंपनी ही इन्वेस्ट करने लायक है। ऐसे में हम बिना एनालिसिस किये किसी कंपनी में इन्वेस्ट करेंगे, तो इसकी पॉसिबिलिटी बहुत कम है कि वो अच्छी कंपनी ही होगी और हो सकता है कि हमे आगे चलकर अपने इन्वेस्टमेंट पर लॉस भी हो जाये। इस वजह से ये बहुत ही इम्पोर्टेन्ट है कि इन्वेस्टमेंट से पहले कंपनी का अच्छे से एनालिसिस करें। आइए हम कुछ बेसिक चीजों को जानते है, जो अच्छी कंपनी ढूँढने में मदद कर सकता है।


1. बिजनेस ग्रोथ (Business Growth)

हर कंपनी चाहता है कि उनके सेल्स, रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़े, लेकिन सभी कंपनी ऐसा नहीं कर पाते। ज्यादातर कंपनियों के प्रोडक्ट और सर्विस की डिमांड समय के साथ कम होते जाते है। क्योंकि बहुत सारी और कंपनियां कम प्राइस पर वही प्रोडक्ट और सर्विसेस देने लग जाते है, जिससे कस्टमर नये कंपनियों के प्रोडक्ट और सर्विसेस के तरफ चले जाते है। इस तरह पुराने कंपनियों के सेल्स और प्रॉफिट कम होने लगते है। इस वजह से हमें ऐसी कंपनियों में इन्वेस्टमेंट करना चाहिए जो लगातार अपना सेल्स, रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ाया है।

किसी कंपनी की बिजनेस ग्रोथ एनालिसिस के लिये Revenue Growth और Profit Growth को देखना चाहिए। एक अच्छी कम्पनी की रेवेन्यू ग्रोथ और प्रॉफिट ग्रोथ में लगातार पिछले 7 से 10 वर्षों में लगभग 10% या इससे अधिक की बढ़ोतरी होना चाहिए। अगर कोई कंपनी ऐसा कर पा रही है तो वे अपनी प्रोडक्ट और सर्विस की डिमांड लगातार बढ़ रहा है,जो कि अच्छी बात है।


2. बिजनेस क्वॉलिटी (Business Quality)

किसी कम्पनी की बिजनेस क्वालिटी की पहचान के लिए हम Return On Capital Employed (ROCE) और Return On Equity (ROE) को देखते है। ROCE से हम पता चलता है कि कोई कंपनी अपने सभी कैपिटल्स (Total Equity Share, Reserves & Surplus और Total Debt) को मिलाकर कितना प्रॉफिट कमा रही है। जबकि ROE हमें ये बताता है कि कोई कंपनी शेयर धारक के पैसे का उपयोग कर कितना लाभ कमा रही है।

किसी अच्छी कंपनी की ROCE और ROE पिछले 7 से 10 सालों में लगभग 15% या इससे अधिक होना चाहिए। ROCE और ROE की 15% से अधिक की वैल्यू यह बताता है कि कंपनी बिजनेस में काफी स्ट्रॉन्ग है।


3. डेब्ट एनालिसिस (Debt Analysis)

कई कंपनियों की जब इकोनॉमी अच्छी चलती है तो बहुत सारे उधार ले लेते है और जब कंपनी की इकोनॉमी डाउन होने पर उसके प्रोफिट में कमी आती है और हो सकता है कि कंपनी अपने प्रॉफिट में लोन का रीपेमेन्ट न कर पाये। ऐसे में कंपनी बैंक्रप्ट (Bankrupt) भी हो सकती है। इसलिए हमें हाई डेब्ट वाली कंपनी में इन्वेस्ट करने से बचना चाहिए। डेब्ट एनालिसिस के लिए हम कंपनी के Debt to Equity Ratio और Interest Coverage Ratio को देखते है।

Debt to Equity Ratio हमें ये बताता है कि कंपनी अपने 1 रुपये के नेटवर्थ पर कितने रुपये का डेब्ट लिया है और वहीं Interest Coverage Ratio हमें ये बताता है कि कंपनी अपने Total Interest Payment से कितना गुना ज्यादा प्रॉफिट बना रही है। हमें ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहिए जिनका Interest Coverage Ratio <1 हो यानी 1 से कम हो और Total Interest Payment>=5 यानी कम से कम 5 हो। ऐसा करने से हम उन कंपनियों में इन्वेस्ट करने से बच सकते है, जो डेब्ट की वजह से फ्यूचर में प्रॉब्लम में आ सकती है।


4. प्रमोटर एनालिसिस (Promoter Analysis)

कभी कभी कंपनी तो अच्छी होती है मगर कंपनी की प्रमोटर यानी ओनर ईमानदार नहीं होते हैं। ऐसे में कंपनी फ्यूचर में बहुत ज्यादा समस्या में आ सकती है। प्रमोटर एनालिसिस के लिए हमें कंपनी के मालिक के बारे में सर्च करना चाहिए। इसके लिए हम गूगल में प्रमोटर के नाम के साथ XYZ Scam, XYZ Fraud या XYZ Court case सर्च कर उसके बारे में डिटेल्स में जान सकते है। यदि कोई कंपनी या प्रमोटर कभी किसी गलत कामों में रहे हो तो ऐसी कंपनी में हमें इन्वेस्ट करने से बचना चाहिए।

यह भी देख लेना चाहिए कि प्रमोटरों के शेयर किसी बैंक या किसी संस्था के पास गिरवी तो नहीं रखे हैं। किसी कंपनी में प्रमोटर की होल्डिंग लगभग 50% या उससे अधिक हो तो अच्छा माना जाता है; कुछ अपवाद भी हो सकते है, जिसमें कई कंपनियां मिलकर एक कंपनी चला रहे होते है। प्रोमोटर्स शेयर होल्डिंग के अलावा FII, DII आदि की भी होल्डिंग अच्छा माना जाता है। इसलिए प्रमोटर की होल्डिंग की भी जांच कर लेनी चाहिए। ध्यान रहे प्रमोटर की होल्डिंग समय के साथ स्थिर रहे या फिर बढ़ते जाना चाहिए। क्योंकि प्रमोटर की होल्डिंग यदि साल दर साल कम हो रही हो तो अच्छा संकेत नहीं होता है।


5. वैल्यूएशन (Valuation)

ऐसा भी हो सकता है कि हम जिस कंपनी में इन्वेस्ट किये हो उसकी सारी चीजें अच्छी हो यानी रेवेन्यू ग्रोथ और प्रॉफिट ग्रोथ अच्छा हो, ROCE और ROE की 15% से अधिक हो, Interest Coverage Ratio 1 से कम हो और प्रमोटर भी अच्छे हो। लेकिन फिर भी हमें उस कंपनी में लॉस हो सकते है, यदि हम उस कंपनी में काफी हाई वैल्यूएशन पर इन्वेस्ट कर देते है। वैसे तो कंपनी की वैल्यूएशन देखने के लिए बहुत सारे तरीके है, लेकिन हम PE Ratio और PEG Ratio को देख कर कम्पनी की वैल्यूएशन का पता लगा सकते है। PE Ratio और PEG Ratio के बारे में मेरे पुराने आर्टिकल में जाकर डिटेल्स में भी पढ़ सकते है।

PE Ratio हमें ये बताता है कि कम्पनी के एक साल में बनाये 1 रुपये प्रॉफिट के लिए कितने रुपये दे रहे हैं। PEG Ratio यह बताता है कि कंपनी अपने प्रॉफिट ग्रोथ की तुलना में Overvalued या Undervalued है। हमें ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहिए जिसके PE Ratio<25 यानी PE Ratio, 25 से कम हो और PEG Ratio<1 यानी PEG Ratio, 1 से कम हो।


अंतिम विचार

शेयर मार्केट में गिरावट से एक अच्छा फंडामेंटल स्टॉक में भी गिरावट आ सकता है। गिरावट के कई कारण हो सकते है, जैसे- देश या विश्व मे आर्थिक संकट, कोई राजनीतिक हलचल, कंपनी में कोई नेगेटिव न्यूज़, कम्पनी के सेल्स और प्रॉफिट में गिरावट, महामारी जैसे- कोरोना, कोई युद्ध जैसे- रूस यूक्रेन आदि।

कंपनी की सभी फंडामेंटल अच्छा होते हुए भी हम कभी भी 100% प्रेडिक्ट नहीं कर सकते है कि भविष्य में ये कम्पनी अच्छा परफॉर्म करेगा या नहीं, क्योंकि पूर्व का अच्छा प्रदर्शन भविष्य की गारंटी नहीं होती है। लेकिन फिर भी हमें इन्वेस्ट करने से पहले कम्पनी के बिजनेस ग्रोथ, बिजनेस क्वॉलिटी, कंपनी की डेब्ट, प्रमोटर की जांच-परख और वैल्यूएशन आदि की एनालिसिस कर लेना चाहिए, जिससे गिरावट के समय नुकसान कम से कम हो।

पढ़ने के लिए दिल से शुक्रिया!!

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