दोस्तों इस लेख को जरूर पूरा पढ़े, मैं आपको यकीन तो नहीं दिला सकता; पर मेरा विश्वास है कि ये लेख आपके जीवन में अच्छा संबंध, अच्छा स्वास्थ्य, अधिक आय और सफलता को नई ऊंचाईयों पर ले जाने में आपकी मदद कर सकता है, चाहे आप किसी भी क्षेत्र में कार्यरत हो। बशर्तें केवल इसे पढ़ने बस से नहीं हो सकता, इन्हें अमल करने पर ही हो सकता है। इसे पढ़ने में शायद ही आपको 25 मिनट लगे लेकिन मुझे लिखने में तीन दिन से ज्यादा लग गये।
दोस्तों! एक अच्छी आदत को बनने में महीनों या वर्षों भी लग जाते हैं। लेकिन बुरी आदतों को बनने में एक हफ्ते से भी कम समय लगता है। और एक बार जब वे बन जाते हैं, तो वे आपके विचारों को कमजोर करने और आपको अंदर से मारने के लिए एक अदृश्य शक्ति के रूप में काम करते हैं। वे आपको आलसी, नेगेटिव, अनुत्पादक और तनावग्रस्त रखते हैं। यह अवसाद, सिरदर्द और अन्य मानसिक बीमारियों को जन्म दे सकता है।
खैर! दुनियां में कोई भी पूर्ण नहीं है। हम सभी में कुछ न कुछ नेगेटिव और पॉजिटिव होता ही है। लेकिन आपके अंदर के असली शैतान को कोई नहीं जानता। और केवल एक चीज जो आप कर सकते हैं, वह यह है कि आप अपने अंदर देखें कि आप में कौन सी बुरी आदतें हैं जिन्हें आपको तुरंत छोड़ने की जरूरत है। वैसे बुरी आदतों की लिस्ट काफी लंबी है। मगर कुछ बुरी आदत बहुत ही बुरी होती है, जो हमारे उत्पादकता को नष्ट कर देती है और हमें आगे बढ़ने से रोकती है।
मैं यहां कोई एकदम से नई चीजों को नहीं लिख रहा हूँ, जिसे आप नहीं जानते। बल्कि ये वे सभी मूलभूत बातें है, जिन्हें हम और आप सभी जानते है, समझते है; लेकिन जाने अनजाने में इन बुरी आदतों को दोहराने की गलती करते ही रहते है। आइए बिना देरी किये जाने कि ऐसी आदतें जो हमें जीवन में आगे बढ़ने से रोकती है।
1. सोशल मीडिया और टीवी देखने में समय बर्बाद करना
सोशल मीडिया और टेलीविजन की लत तेजी से बढ़ रही है। दरअसल, एक व्यक्ति दिन में औसतन 6 घंटे स्क्रीन में और 8 घण्टे सोने में तो कुछ नया करने और सीखने के लिए कितना समय दे रहे है। तो जीवन जीने के लिए कितना समय निकाल रहे है? तो आप अपने जीवन में कुछ नया करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं यानी आपके पास कल के बारे में सोचने का समय भी नहीं है।
यदि आप उस प्रकार के व्यक्ति हैं जो सोशल मीडिया स्क्रॉल करने, गेम खेलने और वेब सीरीज देखने में बहुत समय व्यतीत करते हैं, तो हम केवल यही सलाह दे सकते हैं कि लाइफ को थोड़ा और गंभीरता से लें। यह सच है कि आज के समय में मोबाइल एक जरूरी चीज है और बहुत सारे काम मोबाईल के द्वारा ही आसानी से कर पा रहे है। लेकिन ध्यान रहें कि इसमें इतना न खो जाए कि अन्य जरूरी चीजें हाथ से निकल जाये। आपका समय किसी भी चीज़ से अधिक कीमती है और सोशल मीडिया आपके समय का उपयोग पैसा बनाने के लिए करता है, आप इससे पैसे नहीं कमाते है|
न्यूज़ में बहस, विवादास्पद नेगेटिव न्यूज़ आपके दिमाग की सोच, व्यवहार, निर्णय लेने की क्षमता और भावनाओं को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। दरअसल, बुरी खबरों का ज्यादा सेवन आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी खराब कर सकता है। आपका दिमाग हर उस चीज़ पर प्रतिक्रिया करता है जो आप रोज़ देखते या सुनते हैं। इसलिए नेगेटिव और बहस वाली न्यूज़ देखना कम करे, इनके जगह आप बुक्स, युट्युब पर मोटिवेशनल विडियो देख व सुन सकते है।
2. नशा करना
यदि आप तनाव कम करने या अधिक काम के दबाव को कम करने के लिए कोई नशा कर रहे है तो आप गलत कर रहे है। क्योंकि जब आप तनाव में रहते है तो नशा करने जैसे धूम्रपान, शराब, ड्रग आदि के सेवन से आपको कुछ देर तक आराम तो मिलता है, लेकिन ये वास्तव में लंबे समय तक आराम नहीं दिला सकता। नशा आपको चिड़चिड़ा और चिंतित महसूस करा सकता है। नशा करने से आप शारिरिक और मानसिक रूप कमजोर होते जाते है और इसके साथ ही सामाजिक, आर्थिक और पारिवारिक नुकसान भी होते है।
नशा एक मानसिक बीमारी है जो किसी एक चीज (जैसे- सिगरेट, शराब, तम्बाकू आदि) के लगातार उपयोग की वजह से होती है। व्यक्ति जानता है कि नशे से स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ सकता है, इसके बावजूद वह इसका इस्तेमाल करता रहता है। नशा चाहे कोई भी हो वो फेफड़े, किडनी, लिवर के अलावा सबसे ज्यादा नुकसान मस्तिष्क को पहुंचाते हैं। याद रखे मनुष्य का सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव अंग मस्तिष्क ही है। अब यदि मस्तिष्क ही ठीक नहीं रहेगा तो कोई भी प्रोडक्टिव काम कैसे होगा?
नशा छोड़ने के लिए आपको मानसिक रूप से तैयार होना पड़ेगा। जब भी आप कोई पार्टी में जाये जहाँ शराब चल रही हो तो वहाँ कोई सॉफ्टड्रिंक का विकल्प चुने। नशा छोड़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि सबसे पहले यह जानने की कोशिश करें कि नशे की शुरुवात क्यों की? यह जानने के बाद एक रणनीति बनाये और नशा छोड़े। एक्सपर्ट की माने तो नशा को धीरे-धीरे छोड़ने की बजाय एकदम से छोड़े दे। एकदम से नशा छोड़ना ज्यादा कारगर उपाय है।
3. तुलना करना
तुलना करना ह्यूमन साइकोलॉजी है, इसे हम रोक तो नहीं सकते है। ज्यादातर हम अपनी तुलना किसी दूसरे व्यक्ति के फाइनेंसियल से या उसके स्टेट्स से करते है। जब भी हम किसी पड़ोसी या रिश्तेदार के गाड़ी, घर, महंगे फर्नीचर, बर्थडे या शादी में किये खर्चें आदि को देखकर तुलना करते है, तो हम अपने आप को कम समझने लगते है और इस कमी को पूरा करने के लिए कई बार लोन का सहारा लेकर उन चीजों को ख़रीदते है, जिसे हम अफोर्ड नहीं कर सकते है। तो ऐसी तुलना एक अस्वस्थ और नकारात्मक तुलना होती है, जो हमें कर्ज के जाल में फसा सकता है और साथ ही अवसाद, चिंता, अनिद्रा आदि मानसिक रोग से भी ग्रसित हो सकते है।
जब खुद की तुलना अपने से बहुत ऊपर वाले व्यक्ति जैसे एलन मस्क या सुंदर पिचई जैसे लोगों से करेंगे तो क्या आप प्रोत्साहित होंगे? इसके उलट आप उनके बारे में जानकर प्रोत्साहित हो सकते है; उनकी तुलना खुद से कर आप बुरी तरह हतोत्साहित, हीन भावना और नकारात्मक महसूस करेंगे। ऐसी तुलना एक नकारात्मक व अस्वस्थ तुलना होगा। स्वस्थ तुलना तब होगा जब हम खुद की तुलना अपने से लगभग बराबर या थोड़ा से नीचे लोगों से करते है तो आत्मविश्वास, सकारात्मक भावना महसूस कर सकते है।
उदाहरण के लिए, मैं एक निम्नवर्गीय ब्लॉगर हूं और अपनी तुलना किसी शुरुआती ब्लॉगर्स या सफल ब्लॉगर से करता हूं। ऐसा सोचने की मानवीय प्रवृत्ति है। कुछ हद तक, यह एक स्वस्थ तुलना है। और हम सभी को अपने जीवन में बेहतर हासिल करने के लिए ऐसा करने की आवश्यकता है। स्वस्थ तुलना बुरी नहीं है लेकिन अस्वस्थ तुलना एक बुरी आदत है। स्वस्थ तुलना आपको वह हासिल करने के लिए प्रेरित कर सकती है जिसे आप हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। यह आपको अपने आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी मदद करता है और उपलब्धियों और समृद्धि के साथ अंतर को भर सकता है।
अपने से नीचे की तुलना किसी के आत्म-सम्मान में सुधार कर सकती है और उसे सकारात्मक भावना दे सकती है। अपने से ऊपर की तुलना भी कुछ हद तक मददगार हो सकती है। यह आपको और अधिक करने के लिए प्रेरित करता है, आपको अपने जीवन में कुछ बेहतर हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। लेकिन अगर तुलना गलत तरीके से किया जाय, तो यह आपके निर्णय को प्रभावित कर सकता है और आपके दिमाग को भी विचलित कर सकता है।
4. अपनी कमी निकलना
मैं यह नहीं कर सकता या अपनी कमी निकालना बहुत ही आसान है। हमारा दिमाग समस्याओं के त्वरित और आसान समाधान खोजने में माहिर होता है। जिस क्षण हम अपनी कमी निकालना शुरू करते है उसी क्षण हमारा दिमाग उस समस्या का समाधान खोजने लगता है जिसके बारे में आप शिकायत या कमी निकाल कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए, आप एक ब्लॉग वेबसाइट बनाना चाहते हैं, लेकिन आप इसके बारे में कुछ नहीं जानते हैं। पहली बात जो आपके दिमाग में आती है… ओह… मैं यह नहीं कर सकता! इसके बारे में भूल जाओ! और एक बार यह आपके दिमाग में आ जाए, तो आपका दिमाग संभावनाओं की तलाश करना बंद कर देता है। खेल का अंत!
अगर आपको लगता है कि आपको एक बार कोशिश करनी चाहिए, तो भी आपका दिमाग आपको इसके बारे में सोचना बंद करने का कारण देता है। तो हमारा दिमाग क्या करता है कि यह आपको हर एक विचार को मारने के लिए सैकड़ों कारण देता है। वे केवल कारण ही नहीं देते हैं, वे ऐसे सुझाव भी देते हैं जो आपको संतुष्ट करते हैं और आपको सहज बनाते हैं। वे आपको अस्थायी संतुष्टि देते हैं… (मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि मेरे पास कोई लिखने की कौशल नहीं है, कोई कॉलेज की डिग्री नहीं है या मुझे SEO का ज्ञान नहीं है, आदि।) और एक बार जब आप इन सुझावों से सहमत हो जाते हैं, तो आपका दिमाग विचार को पूरी तरह से नष्ट कर देता है।
यदि आप अपनी कमी निकालते है या शिकायत करते हैं, तो आप मुश्किलों से बचने की कोशिश करते हैं। यह आपके विचारों और बुद्धि को मारता है। यह आपको अनुत्पादक, व्यर्थ और कम्फर्ट जोन में ले जाता है।
5. जोखिम नहीं लेना
बिना जोखिम के हम आगे नहीं बढ़ सकते है। यदि आपको रायपुर से मुम्बई जाना है तो घर से निकल कर सड़क, रेल या प्लेन से चलना होगा, भले ही वहाँ एक्सीडेंट का जोखिम हो, तभी हम मुंबई पहुंच पायेंगे। जोखिम नहीं लेने वाले व्यक्ति कभी कुछ बड़ा काम या रिवार्ड नहीं जीत सकता और दूसरा वह कभी नहीं सीख पायेगा कि जोखिम को कैसे मैनेज किया जाता है।
जीवन में यदि अधिक सफलता या अधिक धन हासिल करना चाहते है तो जोखिम लिये बगैर संभव नहीं है। याद कीजिये अभी अपनी वर्तमान स्थिति में जो है उसे पाने के लिए आपने कुछ न कुछ तो जोखिम तो उठाये ही होंगे। इस प्रकार यदि आप जीवन में कुछ जोखिम उठाकर नया करने की कोशिश नहीं करेंगे, तो आपका जीवन वैसे ही चलते रहेगा, जैसे कि पहले से चलते आया है, कोई नया चमत्कार आपके जीवन में नहीं होगा।
6. नया नहीं सीखना
लोग अपने मोबाइल, टीवी, फर्नीचर, कपड़े आदि को समय के साथ तो अपडेट कर लेते है और इस गफलत में रहते है कि मैं तो समय के साथ अपडेट हो रहा हूँ। लेकिन सही मायनों में जब तब आप समय के साथ नई स्किल्स (जैसे: कोई नई लैंग्वेज, कोडिंग, फाइनेंस या अन्य कोई मॉर्डन स्किल्स ) नहीं सीखेंगे तब तक आप अपडेटेड नहीं माने जायेंगे।
कई लोग समझते है स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद लगता है कि वे अब सब कुछ सीख गए, उन्हें आगे और सीखने या पढ़ने की जरूर नहीं है। लेकिन दोस्तों जब हम पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉब या बिजनेस करते है तो वहीं से हमारी पहिली कक्षा चालू होती है। वहीं से हम दुनियादारी सही तरीके से समझ पाते है। हमें याद रखना चाहिये कि सीखना तो जीवन भर चलता रहता है, चाहे आप किसी भी उम्र में हो। सीखना बंद मतलब जीवन में सफलता बंद, जीवन वहीं थम जायेगा, नीरस और उबाऊ लगने लगेगा। गौर कीजिये आज यदि आप स्मार्ट फोन या कंप्यूटर चलाना नहीं जानते तो क्या आप ये ब्लॉग पढ़ रहे होते, नहीं न! आज आप बहुत सारे काम करना नहीं जानते जैसे: ऑनलाइन समान खरीदना, ऑनलाइन बैंकिग, सोशल मीडिया, ब्राउज़िंग करना आदि। इसलिए हमें समय के साथ नई-नई स्कील्स को भी सीखते रहना चाहिए।
7. गलती स्वीकार नहीं करना
खुद की और दूसरों की गलतियों को स्वीकार और माफ करना सीखें। खुद की गलती मतलब अगर आपसे पढ़ाई में, आफिस में या घर में कुछ गलती हुई हो तो इसे स्वीकार करें और इसके बदले में खुद को सजा देने की जरुरत भी नहीं है और न ही दूसरों को गलत या बुरा भला कहने की। गलती करने से ही हम किसी चीज को ज्यादा अच्छे से सीख सकते है, गलती एक सीढ़ी की तरह होती है, जिस पर चलकर सफलता मिलती है। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि हम हमेशा गलती करके सीखे, दूसरों की गलती से भी सीख सकते है। इसी तरह आपके कोई दोस्त या रिश्तेदार गलती करते है, तो उसे भी हमें स्वीकार करना चाहिए और उसे माफ कर देना चाहिए।
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8. आलोचना करना
"हाऊ टू विन फ्रेंड्स एंड इंफ्लुएंस पीपल" के लेखक डेल कार्नेगी लिखते है कि 'लोगों की गलतियां सीधे तरीके से न बताएँ।' मतलब कि यदि आपको सामने वाले का गलतियां बतानी हो तो शुरुआत उनकी प्रशंसा की जाए उसके बाद उनकी गलतियां बताएं। क्योंकि अच्छाईयों की तारीफ सुन लेने के बाद बुराई सुनना हमारे लिए मनोवैज्ञानिक तरीके से आसान हो जाता है।
दोस्तों यदि आपको एसेट क्रिएशन करना है तो पैसों को बचत के साथ-साथ सही जगह पर उन पैसों को निवेश करना भी आना चाहिए। निवेश करने का मतलब ये कतई नहीं है कि किसी एक जगह या किसी एक एसेट क्लास में अपनी सारी पूंजी निवेश कर दे। अपने निवेश को विभिन्न एसेट क्लास में जैसे: गोल्ड, एफडी, एनपीएस, म्यूच्यूअल फण्ड, शेयर्स आदि में डाइवर्सिफाइड तरीके से निवेश कर सकते है। जैसे जब आप शेयर्स में निवेश करें तो पूरा पैसा किसी एक शेयर में न लगाये, बल्कि 10 से 12 कंपनियों के शेयर्स में लगाये, जिससे मार्केट में किसी 2-3 कंपनियों में गिरावट भी आये तो नुकसान कम होगा।
10. अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देना
हम सभी जानते है कि एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। जब हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो कोई प्रोडक्टिव वर्क कैसे कर सकते है। हमें अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए अपने स्वास्थ्य की देखभाल अच्छी तरह करना आना चाहिए। हमें ये बात भी कभी नहीं भूलना चाहिए कि स्वास्थ्य ही हमारा सबसे बड़ा एसेट या धन है। अगर आप अस्वस्थ है तो दुनियां की कोई भी चीज का आनंद नहीं ले सकते है। एक अच्छा स्वास्थ्य रहने से ही हम जीवन में अधिक उत्पादक और सफलता प्राप्त कर सकते है।
अधिकतर असफल लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते है, जबकि सफल लोग अपने स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखते है। एक अच्छा मानसिक और शारिरिक स्वास्थ्य से ही अपने काम को अच्छे से कर पाते है। एक अच्छा स्वास्थ्य के लिए रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठने की आदत होनी चाहिए और इसके साथ-साथ हमें संतुलित भोजन, व्यायाम, योगा और मेडीटेशन नियमित रूप से करना चाहिए।
11. नेगेटिव एनर्जी वाले लोगों के साथ समय बिताना
हम अपने जीवन में नेगेटिव एनर्जी वाले लोगों को तो पूरी तरह हटा नहीं सकते है, लेकिन हम कम जरूर कर सकते है। ऐसे लोगों के साथ रहना आसान नहीं है जो हमें हमेशा दुखी और हतोत्साहित महसूस कराते हैं। ऐसे व्यक्तियों की पहचान करना जरूरी है और जितना हो सके इनसे बचना चाहिए नहीं तो हम उनके बनाए हुए गढ्डे में गिर सकते है।
उन लोगों के साथ समय बिताने की आदत डालें जो हमें हमेशा बेहतर और खुश महसूस कराते हैं, न कि उन लोगों के साथ जो हमें हतोत्साहित करते हैं और हमें नीचा दिखाते हैं। पॉजिटिव एनर्जी वाले लोगों के आसपास रहने से चिंता या बुरे विचार कम हो सकते हैं और हमारी खुशी बढ़ सकती है। इसके अलावा यह हमें पॉजिटिव चीजें करने, अधिक उत्पादक बनने के लिए प्रेरित कर सकता है।
12. हमेशा कम्फर्ट जोन में रहना
कम्फर्ट जोन आपके सपने, लक्ष्य और जीवन को भी बर्बाद कर सकता है। यदि आपको लाइफ में कुछ बड़ा करना है तो आपको कम्फर्ट जोन से निकलना ही होगा। कम्फर्ट जोन यानी ऐसी अवस्था या जगह जहां हम अच्छा महसूस करते है है, उसमें हमें आराम मिल रहा होता है। लोग अपनी इसी आराम की जिंदगी की इतनी आदी हो जाते है, कि इससे दूर जाने की हिम्मत नहीं करते है, रिस्क लेने से डरते है। ऐसे में हम अपनी लाइफ में ज्यादा कुछ नहीं कर पायेंगे। यदि अपने सपने या गोल्स को पूरा करना है तो हमें अपने इस कम्फर्ट जोन से अभी निकलना होगा। नहीं तो आपकी लाइफ में नया कुछ परिवर्तन नहीं होगा।
अंतिम विचार
बुरी आदतों से बाहर निकलने में अधिक समय लग सकता है। इनमें से कोई भी बुरी आदत आपके निर्णय, उत्पादकता, तनाव दर और मानसिक बीमारी को प्रभावित करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली है। तो बेहतर होगा कि आप इन आदतों को कभी न अपनाएं और जल्द से जल्द छोड़ने का प्रयास करे। अगर आप ऐसा करते भी हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप अपने दिमाग को इन भावनाओं को कंट्रोल करने के लिए प्रशिक्षित करें, इससे पहले कि वे आपकी आदत बन जाएं।
क्या आपमें भी है इनमें से कोई बुरी आदत है? मुझे कमेंट सेक्शन में बताएं। अगर आपको यह लेख मददगार लगा हो तो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को जरूर शेयर करें। और अंत तक पढ़ने के लिए दिल से शुक्रिया दोस्तों!