"रिच डैड पुअर डैड" से 7 बातें जिसने मेरी सोच बदल दी।

दोस्तों अमेरिकन लेखक रॉबर्ट टी. कियोसाकी की फेमस बुक "रिच डैड पुअर डैड" अपनी खुद की लाइफ स्टोरी पर आधारित है। इस बुक को दुनियां भर के अधिकतर फाइनेंसियल एक्सपर्ट पर्सनल फाइनेंस सीखने का बेस्ट सेल्फ हेल्प बुक में से एक बताते है।

"रिच डैड पुअर डैड" का प्रकाशन 1997 को प्रकाशित हुई थी। ये बुक पर्सनल फाइनेंस के लिए दुनियां में #1 रूप में प्रसिद्ध है। यदि आप पर्सनल फाइनेंस सीखना चाहते है ये बुक आपको इस संबंध में बहुत सारी ऐसी बातें सिखायेगी, जिन्हें स्कूल-कालेज में नहीं सिखाई जाती है। इस बुक में बताये गए सभी बातें प्रैक्टिकल और लाइफ चेंजिंग है। इस बुक में बताया है कि कैसे गरीब व्यक्ति जिंदगी भर कड़ी मेहनत कर के गरीब ही रहते है और अमीर व्यक्ति कैसे कड़ी मेहनत करके और अधिक अमीर हो जाते है और केवल सोच या माइंडसेट के कारण ही हम अपनी जगह गरीब और अमीर होते है।

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बुक में लेखक यानी रॉबर्ट टी.कियोसाकी के दो पिता थे। उनके एक पिता मेहनती, बुद्धिमान, पी.एच.डी. और यूनिवर्सिटी में टीचर थे, लेकिन फाइनेंसियल एजुकेशन में कमजोर होने के कारण गरीब थे, जिन्हें वे 'पुअर डैड' कहते है। दूसरे पिता कभी आठवीं भी पास नहीं कर पाये थे, लेकिन फाइनेंसियल नॉलेज स्ट्रॉन्ग होने की वजह से वे बहुत अमीर थे, जिन्हें वे 'रिच डैड' पुकारते है। आप सभी ये सोच रहे होंगे कि रॉबर्ट के दो पिता कैसे हो गए? दरअसल बुक में रॉबर्ट ने खुद के पिता को 'पुअर डैड' और अपने दोस्त 'माइक' के पिता को 'रिच डैड' से संबोधित किये है। उनके दोनों पिता अपने-अपने करियर में सफल थे। दोनों ने ही जिंदगीभर कड़ी मेहनत की और काफी पैसे कमाये। लेकिन एक हमेशा आर्थिक परेशानियों में जूझते रहे और दूसरा अपने शहर के सबसे अमीर और प्रभावशाली लोगों में से एक बने।

हमें पैसे के विषय में स्कूल कालेज में नहीं पढ़ाया जाता है, जिस वजह से ज्यादातर लोग आर्थिक या वित्तीय क्षेत्र में पिछड़े हुए होते है, गरीब रहते है। बिना वित्तीय शिक्षा के वित्तीय या आर्थिक सफलता मिलना मुश्किल है। ज्यादातर गरीब और मध्यम वर्गीय लोग अपने बच्चों को स्कूल जाओ, अच्छे से पढ़ो और अच्छी सैलरी वाले नौकरी करो और सपने पूरे करने पर जोर देते है, जो कि आर्थिक सफलता की गारंटी नहीं है। वही अमीर लोग अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ वित्तीय शिक्षा यानी पैसों की बचत, निवेश, मैनेज करना, पैसों से अपने लिए कैसे काम कराये, आमदनी के एक से अधिक सोर्स कैसे बनाये आदि की शिक्षा में भी जोर देते है, जिससे वे अपने जीवन में आर्थिक रूप से सफल हो। दोस्तों अब आइये जाने वे 7 बातें जिसने पैसे के प्रति मेरी सोच ही बदल दी, शायद आपकी भी सोच बदल जाये...


1. सफलता और असफलता हमारे विचार से तय होता है

जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफल और असफल होना हमारे सोच या माइंडसेट पर भी निर्भर करता है। मिस्र में पिरामिड, फ्रांस के एफिल टॉवर, भारत में ताजमहल, सिंगापुर या न्यूयॉर्क की ऊंची बिल्डिंग्स आदि सभी किसी न किसी के सोच का परिणाम ही है। क्योंकि किसी भी कार्य को करने से पहले हमारे दिमाग में उसके लिए विचार आते है, उसके बाद भावनाये उस कार्य को करने के लिए प्रेरित करते है और अंत में अच्छा या बुरा जो भी हो, परिणाम मिलता है। हमारा दिमाग तार्किक रूप से कम भावनाओं के आधार पर ज़्यादा निर्णय लेते है। इसीलिए यदि हम वित्त संबंधी निर्णय अपनी भावनाओं को काबू कर के लेते है, तो ज्यादा वित्तीय रूप से सफल हो सकते है। पैसे संबंधी आर्थिक या वित्तीय सफलता हमारी सही सोच और माइंडसेट से संभव है।

लेखक के दोनों डैड शक्तिशाली, करिश्माई और प्रभावकारी थे। लेकिन दोनों के विचार और नजरिया एकदम अलग थे। इसी फर्क ने एक को अमीर और दूसरे को गरीब बना दिया। पुअर डैड कहा करते थे कि स्कूल जाओ और मेहनत से पढ़ो ताकि तुम्हे अच्छी कंपनी में नौकरी मिल जाये, जिससे तुम्हारा भविष्य सुरक्षित रह सके। जबकि रिच डैड कहते थे कि स्कूल कालेज की शिक्षा के साथ ही फाइनेंसियल एजुकेशन भी जरूरी है, क्योंकि पैसों के विषय में स्कूलों में नहीं सिखाते है। पैसे के विषय में पुअर डैड के कई नकारात्मक विचार या माइंडसेट थे जैसे:
1. मैं इसे नहीं ख़रीद सकता।
2. पैसे का मोह ही सभी बुराइयों की जड़ है।
3. जहाँ पैसे का सवाल हो, सुरक्षित कदम उठाओ, ख़तरा मत उठाओ।
4. हमारा घर ही हमारा सबसे बड़ा निवेश और हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है।
5. कंपनी या सरकार को आपका ध्यान रखना चाहिए और आपकी ज़रूरतों को पूरा करना चाहिए।
6. पैसे को बचाते थे।
7. मैं कभी अमीर नहीं बन पाऊंगा।
8. पैसा महत्वपूर्ण नहीं है।

वहीं रिच डैड का पैसों के विषय में सोच पुअर डैड से ठीक इनके उलट थे, जैसे:
1. मैं इसे कैसे ख़रीद सकता हूँ?
2. पैसे की कमी ही सभी बुराइयों की जड़ है।
3. ख़तरों का सामना करना सीखो।
4. मेरा घर मेरा दायित्व है, और अगर आपका घर आपकी नज़र में आपका सबसे बड़ा निवेश है, तो आप गलत हैं।
5. पूरी तरह से आर्थिक स्वतंत्रता में विश्वास करते थे।
6. पैसे को निवेश करते थे।
7. अपने आप को अमीर समझते थे तब भी जब वे अमीर नहीं थे। वे कहते थे- मैं अमीर हूँ और अमीर लोग ऐसा नहीं करते।
8. पैसे में बहुत ताकत है।

इस तरह अगर ध्यान दे तो पुअर डैड अपने विचार में "नहीं" या "नहीं कर सकते" का उपयोग करते थे। जो कि साइकोलॉजी के अनुसार, यदि हम बार-बार नकारात्मक विचार या शब्दों का इस्तेमाल करते है तो हमारा दिमाग समस्या का समाधान ढूंढना ही बंद कर देता है। वहीं अगर हम अपने विचार, शब्दों या वाक्यों में "कैसे" या "कैसे करे" का उपयोग करते है तो हमारा दिमाग ज्यादा सक्रिय हो जाता है और उसका समाधान ढूंढने लगता है और हम सफल भी हो जाते है। अतः हमें अमीर और आर्थिक रूप से सफल होने के लिए विचार और शब्दों का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।


2. अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते

रॉबर्ट के रिच डैड कहते है कि दुनियां के ज्यादातर लोग एक तरह से चूहा-दौड़ (Rate-Race) में फंसा हुआ है। इसका मतलब यह कि अधिकतर लोग पढ़ाई पूरी करने के बाद एक सुरक्षित जॉब ढूंढते है, जिसमें अच्छी सैलरी हो। अच्छी सैलरी से अपने लिए मनपसंद घर, मँहगी कारे और लक्ज़री चीजें ख़रीद लेते है, लेकिन ये चीजें लोन में होती है। बिल या ईएमआई चुकाने के लिए पूरी जिंदगी भर जॉब करते है, जो कि नीरस और उबाऊ होता है। नौकरी या जॉब में हम मेहनत तो बहुत करते है लेकिन ज्यादा फायदा किसी और को होता है। सैलरी बढ़ने के लालच या फिर जॉब चली गई तो लोन कैसे चुकाऊंगा, के डर में अधिकतर लोग जॉब को छोड़ नहीं पाते है। इस तरह से अधिकतर लोग लालच और भय के भावनाओं में फंस के रह जाते है।

ज्यादातर लोग अच्छी जॉब और अच्छी सैलरी होने के बाउजूद अमीर नहीं बन पाते है। रिच डैड कहते है कि अमीर बनने के लिए सबसे पहले भय और लालच जैसे भावनाओं को काबू करना सीखें तभी चूहा-दौड़ से छुटकारा मिल सकता है। अगर आपको इस तरह के चूहा-दौड़ से बाहर निकलना है तो कुछ न कुछ ऐसा करना होगा जिससे कि पैसों के लिए काम न करना पड़े, बल्कि पैसा आपके लिए काम करे। इस तरह सबक यह है कि अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते है, बल्कि अनुभव के लिए काम करते है, जिससे कि वे कोई ऐसा सिस्टम तैयार कर सके कि पैसा उनके लिए काम कर सके। जैसे- आप भी अपनी कमाई के पैसों को किसी बिजनेस या कोई इन्वेस्टमेंट में लगा सकते है ताकि आपका पैसा आपके लिए काम करे और समय के साथ ग्रो हो सके। इस तरीके से कुछ समय बाद आपको भी पैसे के लिए काम नहीं करना पड़ेगा, बल्कि पैसा आपके लिए काम करने लगेंगे।


3. फाइनेंसियल एजुकेशन जरूरी

आप कई ऐसे लोग, सेलेब्रिटीज़ और स्पोर्ट मैन के बारे में सुने होंगे, कोई लॉटरी जीते होंगे, कोई जमीन बेच कर पैसे बनाये होंगे या किसी भी तरीके से पैसे कमाये होंगे, लेकिन आज वे अपने सभी पैसों को खो चुके होंगे। असल में वे इस तरह अमीर से गरीब इसलिए हो गए, क्योंकि उनमें फाइनेंसियल एजुकेशन के कमी थी। जैसे- 'कौन बनेगा करोड़पति' से सुशील कुमार करोड़पति बनने के बाद आज फिर से गरीब हो गए है। इसका कारण है कि वे अपने लिए एक आलीशान मकान तो बना लिए लेकिन वे अपने लिए उस पैसे से इनकम के सोर्स नहीं बना पाये, जिसकी वजह से वे आज गरीबी में जी रहे है। उनके पास जनरल नॉलेज तो बहुत था मगर फाइनेंसियल नॉलेज नहीं था।

रिच डैड एसेट और लायबिलिटी को बड़ी आसानी से समझाते हुए कहते है कि एसेट आपकी जेब में पैसा डालती है और लायबिलिटी आपकी जेब से पैसे बाहर निकालते है। रिच डैड कहते है कि "अमीर लोग एसेट इक्कठी करते है। गरीब और मध्यमवर्गीय लोग लाइबिलिटी इक्कठे करते है और उन्हें एसेट मानते है।" यानी अमीर अपने लिए मकान, दुकान, गोदाम, बिजनेस, गोल्ड, स्टॉक्स, बांड, म्यूच्यूअल फण्ड आदि में निवेश करते है, जिससे इनके वैल्यू समय के बढ़ते जाते है और ये सभी हमारे जेब मे पैसे डालते है। गरीब और मध्यम वर्गीय लोग रहने के लिए घर, कार, एसी, मोबाईल, लक्ज़री फर्नीचर आदि को एसेट समझ के ख़रीदते है, जबकि ये सभी असल में लायबिलिटी होते है, ये सभी चीजें हमारे जेब से पैसे निकालते है। हालांकि अमीर लोग भी लक्ज़री ख़रीदते है, लेकिन वे लोग अपने इन्वेस्ट से हुए प्रॉफिट से ख़रीदते है। गरीब और मध्यम वर्गीय लोग सबसे पहले अपने लिए लक्ज़री खरीदने में ध्यान देते है और अपने लायबिलिटी को बढ़ाते है, जिससे वे गरीबी में ही जीते है।

रिच डैड मानते है कि हमें अमीर बनने के लिए सिर्फ पैसे कमाने पर जोर नहीं देते है, बल्कि वे इस बात पर जोर देते है कि कमाये हुए पैसे को कैसे सही से मैनेजमेंट करे? यानी अपने पैसों को सही तरीके से खर्च, बजट, सेविंग और इंवेस्टिंग करें ताकि हमारा पैसा समय के साथ ग्रो हो सके, इस तरह की फाइनेंसियल जानकारी होना चाहिए। आज महत्वपूर्ण यह नहीं कि आप कितना कमाते है, बल्कि यह महत्वपूर्ण है कि कितना आप बचाते है और कितने पीढ़ियों तक इसे रखते है। पुअर डैड पढ़े-लिखे और अच्छी सैलरी वाले जॉब में था, लेकिन उन्हें पैसे की समझ नहीं था। इस कारण वह जितना कमाते थे उससे ज्यादा खर्च करते और कर्ज में फसे रहते थे। यानी उनके पास एसेट कम और लायबिलिटी अधिक थी। जबकि रिच डैड कम पढ़े-लिखे होने के बाउजूद उन्हें फाइनेंसियल नॉलेज थी, उनका आमदनी अधिक और खर्चें कम थे। वे एसेट खरीदने के पर ज्यादा जोर देते थे। यानी उनके पास एसेट अधिक और लायबिलिटी कम थे। मतलब हमें यदि अमीर बनना है तो एसेट और लायबिलिटी के अंतर को समझना होगा।


4. सीखने के लिए काम करें, कमाने के लिए नहीं

ज्यादातर लोग पढ़ाई करने के बाद कोई अच्छी सैलरी और सुरक्षित नौकरी की तलाश कर लेते है और मिल जाने के बाद वे उसी में चिपक कर रह जाते है। इसका कारण होते है कि वे सैलरी के आधार पर अपने लिए घर, कार और अन्य लक्ज़री चीजें लोन में खरीद लेते है और उसके बिल या EMI को रिटायर होने तक भरते रहते है। और वे इस तरह से चूहा-दौड़ में फंस जाते है। इसलिए हमें सीखने के लिए और अपनी जरूरत अनुसार योग्यताएं बढ़ाने के लिए काम या नौकरी करना चाहिए, पैसे के लिए नहीं। जब खुद में अच्छी योग्यता (जैसे- बिजनेस, सेल्स, इंवेस्टिंग आदि) हासिल कर ले तो पैसे कमा सकते है और अमीर भी बन सकते है।

रॉबर्ट कियोसाकी बताते हैं की एक बार सिंगापुर में एक रिपोर्टर महिला उनका इंटरव्यू ले रही थी। उस महिला ने उनसे कहा कि वो भी उनकी तरह एक बेस्ट सेलिंग ऑथर बनना चाहती है। उसने बताया कि सब उसके नॉवेल को पसंद करते हैं परन्तु कुछ होता नहीं, इसलिए उसने उनसे सलाह माँगी कि वो क्या करे? लेखक रॉबर्ट कियोसाकी ने उस रिपोर्टर महिला को सेल्स-ट्रेनिंग का कोर्स करने की सलाह दी। वह महिला नाराज़ हो गयी और कहा की वह एक प्रोफ़ेशनल राइटर है जिसके पास इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर्स डिग्री है। उस महिला ने उनसे कहा कि वो कभी भी मार्केटिंग सीखना जितना नीचे नहीं गिरेंगी और वो वहाँ से चली गयी। लेखक कहते हैं कि वो एक प्रतिभाशाली लेखिका थी और अगर वो सेल्स की ट्रेनिंग ले लेती तो वो भी एक बेस्ट सेलिंग ऑथर बन पाती।

दुनिया स्मार्ट, गुणी, शिक्षित, प्रतिभाशाली लोगों से भरी हुई है। हम उनसे रोज़ मिलते हैं। वे चारों तरफ हैं, परन्तु दुखद सच तो यह है कि प्रतिभा ही पर्याप्त नहीं होती है। आपने भी देखा होगा की प्रतिभाशाली लोग कितना कम कमा पाते हैं। लेखक कहते हैं कि ज्यादातर लोगों को केवल एक और स्किल सिखने की ज़रूरत होती है, जिसके बाद उनकी आमदनी बहुत ज़्यादा बढ़ सकती है।

रिच डैड कहते है कि नौकरी करते समय इस बात पर कम ध्यान दे हम कितना कमा रहे है, बल्कि इस बात पर ध्यान दे कि हम कितना सीख रहे है। साथ ही हम सैलरी बढ़ाने के चक्कर में नौकरी को छोड़ नहीं पाते है। रॉबर्ट कियोसाकी हमें बताते है कि मेरे पुअर डैड हर साल अपनी सैलरी बढ़ने की राह देखते थे और हर साल निराश होते थे। वेतनवृद्धि पाने के खातिर योग्यताएं बढ़ाने के लिए वे दोबारा कालेज जाते और पढ़ाई करते थे, मगर सैलरी न बढ़ने से एक बार फिर निराश हो जाते थे। वे सीखने के लिए काम नहीं किये बल्कि अपने सैलरी बढ़ाने के लिए काम किये है, इसीलिए वे जीवन भर पैसे के समस्या से जूझते रहे।


5. डर के आगे जीत है

जी हाँ! दोस्तों!! एक मशहूर सॉफ्टड्रिंक की टीवी विज्ञापनों में आपने देखा और सुना होगा कि " डर के आगे जीत है।" ये निवेश में भी लागू होता है। कुछ लोग ऊँचाई से डरते है, कुछ लोग सांप से डरते है और कुछ लोग पैसे गँवाने से डरते है यानी अधिकतर लोगों को कुछ न कुछ से डर लगता ही है। डर और शंका सफल और असफल दोनों लोगों को होता है। लेकिन सफल या जीतते वही है जो अपने डर को काबू कर लेते है और शंका को समय रहते दूर कर लेते है। रॉबर्ट के रिच डैड कहते है कि,

"अमीर व्यक्ति और गरीब व्यक्ति के बीच का बुनियादी फर्क यह है कि वे डर का प्रबंधन कैसे करते है।"

"मैं आज तक किसी ऐसे गोल्फ खिलाड़ी से नहीं मिला, जिससे कोई गोल्फ बॉल न खोई हो। मैं ऐसे प्रेमियों को नहीं देखा, जिनका दिल कभी न टूटा हो। और मैं आज तक किसी ऐसे अमीर व्यक्ति से नहीं मिला, जिसने कभी पैसा न गँवाया हो।"

"ज्यादातर लोग वित्तीय दृष्टि से इसलिए नहीं जीत पाते, क्योंकि पैसे गँवाने का दर्द अमीर बनने के खुशी से कहीं ज्यादा होता है।"

आप तब तक साइकिल चलाना नहीं सीख सकते जब तक कि आप गिरने से डरते है। जब आप साइकिल चलाना कोशिश करते है तो बार-बार गिरते है और अंततः साइकिल चलाना सीख जाते है, इस प्रकार हार को पराजित कर लेते है। जो अंदर से विजेता होते है, हार उन्हें प्रेरित करते है और जो अंदर से पराजित होते है, वे हार के बाद हिम्मत छोड़ देते है। निवेश में भी इसी तरह है।

ज्यादातर लोग अपने धन को खोने से बचने या एक सुरक्षित तरीके से अपने पैसों को एफडी, बांड, म्यूच्यूअल फण्ड आदि में निवेश करते है। ऐसा करना एक हद तक सही भी है। लेकिन ऐसा सुरक्षित और समझदारी भरा पोर्टफोलियो किसी विजेता का पोर्टफोलियो नहीं होता है। अगर आप के पास पैसा कम है और आप अमीर बनना चाहते है, तो आपको संतुलित नहीं, केंद्रित बनना होगा। संतुलित लोग कहीं नहीं पहुँच पाते, वे एक ही जगह पर रुके हुए रहते है। टॉमस एडिसन, डोनाल्ड ट्रम्प, बिल गेट्स, एलन मस्क, स्टीव जॉब सभी संतुलित नहीं थे, वे केंद्रित थे; तभी वे सभी इतने सफल हो पाये है।

कोई भी पैसा नहीं गँवाना चाहता है। इन्वेस्टमेंट में जिन लोगों ने कभी पैसा नहीं गंवाया है, वे वही है, जिन्होंने कभी इन्वेस्ट किया ही नहीं है। अधिकतर लोग नुकसान से बचते हुए इन्वेस्ट करते है, ऐसा इन्वेस्ट अच्छा प्रॉफिट के लिए नहीं है। संतुलित पोर्टफोलियो बुरी नहीं है, लेकिन इससे ज्यादा रिटर्न नहीं कमाया जा सकता है। एक अच्छा पोर्टफोलियो के लिये थोड़ा असंतुलित होना पड़ता है, साथ ही साहस व सही नजरिये की जरूरत होती है। तब जाकर एक विजेता पोर्टफोलियो बनता है।


6. टैक्स की समझ

रॉबर्ट कियोसाकी कहते है कि अमीर बनने के लिए टैक्स को समझना बहुत ज़रूरी है। अगर आप अमीर बनना चाहते है और अमीर बने रहना चाहते है तो आपको टैक्स को समझना और उसका फ़ायदा उठाना आना चाहिए। सबको लगता है की अमीर लोग ज़्यादा टैक्स देते हैं पर ऐसा नहीं हैं। अमीर लोग टैक्स और उससे जुड़े सभी कानूनों को अच्छी तरह से सीखते व समझते है और उसका फ़ायदा उठाकर अपना टैक्स कम कर लेते हैं।

पुराने समय में टैक्स सिस्टम को अमीर और गरीब के बीच फर्क को खत्म करने के लिए बनाया गया था, जिसमें अमीर लोग टैक्स देते थे और उस टैक्स की कमाई से सरकार गरीबों की सुविधाओं के लिए खर्च करते थे। समय के साथ टैक्स के नियम में बदलाव होने के बाद मिडिल और अपर मिडिल क्लास वाले लोगों को भी टैक्स देना शुरू हो गए। और आज अमीर लोगों से ज्यादा गरीब और मध्यमवर्गीय लोग ज्यादा टैक्स चुकाते है। अमीर लोग अपने दिमाग और चालाकी का उपयोग करके अपना टैक्स बचा लेते है। सभी बिजनेस मैन और उद्योगपति पहले पैसा कमाते है और अपने जरूरतों व शौक के खर्च को अपने बिजनेस की खर्च में जोड़ देते है, उसके बाद टैक्स चुकाते है। जबकि गरीब और मध्यमवर्गीय लोग अपने कुल आमदनी में से टैक्स चुकाते है और उसके बाद बचे पैसों से अपनी जरूरतें व शौक पूरा करते है। अमीर लोग फाइनेंसियल नॉलेज खुद सीख लेते है या फिर ऐसे लोगों को जॉब में रखते है जो फाइनेंसियल इंटेलिजेंस हो।


7. एक से अधिक इनकम के सोर्स बनाना

रिच डैड के अनुसार लोगों के इनकम तीन तरह के होते है: पहला अर्जित या सामान्य रूप से कमाई गई, दूसरा पोर्टफोलियो इनकम और तीसरा पैसिव इनकम। गरीब और मिडिल क्लास की इनकम सामान्य रूप से कमाई गई इनकम होती है, मध्यम और अमीर लोगों की इनकम सामान्य और स्टॉक्स, बॉन्ड और म्यूच्यूअल फंड्स के यूनिट्स से भी इनकम कमा लेते है, क्योंकि समय के साथ इनकी वैल्यू बढ़ सकते है। पैसिव इनकम या निष्क्रिय आय वे होती है, जिसे एक बार निवेश करने या बिज़नेस में पैसा लगाने के साथ मेहनत और समय भी देना पड़ता है। एक बार जब कोई बिजनेस या निवेश सेट हो जाये तो इसमें इनकम लगातार होती रहती है, इसमें इतना कड़ी मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती है। जैसे कोई मकान, दुकान या गोदाम खरीद कर उसे किराए से देना और इस प्रकार किराए से उत्पन्न आय पैसिव इनकम है।
यदि हम सिर्फ एक ही इनकम सोर्स पर निर्भर रहे हो तो आप कभी भी वित्तीय रूप आजाद नहीं हो सकते, अमीर नहीं बन सकते। किसी एक इनकम सोर्स यानी जॉब या बिजनेस के आधार पर कोई बड़ा लोन या कर्ज लेते है तो लाइफ में कुछ ऐसे प्रॉब्लम आते है, जैसे कि यदि जॉब छूट जाए या बिजनेस ठप हो जाये तो हम ऐसी स्थिति में बड़ी कर्ज के जाल में फंस सकते है। इसलिए हमें जॉब या बिजनेस करते हुए अपना समय, पैसे और स्किल्स को निवेश करते हुए अन्य इनकम सोर्स भी बना लेना चाहिए।


और अंत में

उम्मीद है दोस्तों रिच डैड पुअर डैड की ये बातें या सबक आपके पैसे के प्रति सोच को जरूर बदल दिए होंगे। इस बुक से मैं कुछ ही चुनिंदा बातों को ही पोस्ट में लिखे है, इसे एक बार पूरा जरूर पढ़े, क्योंकि इसमें सीखने के लिए और भी बहुत कुछ है। बुक को पूरा पढ़ने के लिए इसलिए जोर दे रहा हूँ क्योंकि यदि मैं सिंगापुर घूमने जाऊं और वहां से आकर में अपने ट्रेवल्स के बारे में आपको बताऊं कि मैंने वहाँ क्या क्या एक्सप्लोर किये है? तो मैं कुछ ही चुनिंदा जगहों का जिक्र कर पाऊंगा, पूरे सिंगापुर सिटी का नहीं। सिंगापुर घूमने का असली आनंद आपको खुद ट्रेवल करके आयेंगे। इसी तरह पूरा बुक पढ़ने के बाद आपकी समझ ज्यादा स्पष्ट और साफ हो जायेंगे। और अंत तक पढ़ने के लिए दिल से शुक्रिया!!

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