ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने।

दोस्तों अधिकतर नये लोग स्टॉक मार्केट में इंवेस्टिंग की बजाय ट्रेडिंग से ही शुरुआत करते है और वे ट्रेंडिंग भी फ्यूचर एंड ऑप्शन जैसे हाई रिस्की सेगमेंट से ही शुरुआत करते है। बिना स्टॉक मार्केट की बेसिक नॉलेज से ट्रेडिंग करेंगे तो नुकसान होने की संभावना भी अधिक होगी। आपने किसी दोस्त या किसी यूट्यूबर से जरूर सुने होंगे कि ट्रेडिंग में 95% लोग पैसे गंवाते है सिर्फ 5% लोग ही लाभ कमा पाते है। ये बात बिल्कुल सही है।

Art Of Investing

स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग से आप एक दिन में पूरे एक साल की कमाई भी कर सकते है और इसके ठीक उलट एक ही दिन में पूरे साल भर की कमाई भी खो सकते है। लेकिन याद रखे यहां जीतने वाले सिर्फ 5% लोग होते है और बाकी 95% सब हारने वाले। मैं यहाँ आपको ट्रेडिंग करने के लिए न ही उकसा रहा हूँ और न ही डरा रहा हूँ। सिर्फ फैक्ट बातें बता रहा हूँ।

अब तक ऐसा कोई ट्रेडिंग फॉर्मूला नहीं बना है जिससे पूरी तरह नुकसान से बचा जा सके। ट्रेडिंग में हम केवल एक ही तरीके से नुकसान से बच सकते है- वो है ट्रेडिंग नहीं करके। हम रिस्क मैनेजमेंट के द्वारा अपने ट्रेडिंग में होने वाली नुकसान को कम कर सकते है और एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर बन सकते है। बहुत से लोग रिस्क मैनेजमेंट को नहीं जानते और कुछ लोग जानते भी है पर उसे कड़ाई से पालन नहीं कर पाते जिसके चलते उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है। जो सफल ट्रेडर होते है वे इसे जानते है और कड़ाई से पालन भी करते है।


ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट क्यों जरुरी है?

रिस्क मैनेजमेंट ट्रेडिंग का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। निम्न टेबल का अवलोकन कीजिये-
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टेबल के अनुसार, यदि आप अपनी पूंजी का 10% खो देते हैं तो आपको अपनी शेष पूंजी पर केवल प्रारंभिक शेष राशि पर वापस आने के लिए 11% प्रॉफिट अर्जित करना होगा। यदि आप 20% खो देते हैं तो बचे कैपिटल से आपको 25% प्रॉफिट कमाना होगा। इसी तरह यदि आप 50% खो देते हैं तो बचे हुए कैपिटल से 100% प्रॉफिट कमाना होगा, तभी अपनी प्रारंभिक बैलेंस तक पहुंच पायेंगे। नौसिखिये ट्रेडर अक्सर अपने कैपिटल की 10% से 60% तक जल्दी खो देते है और सोचते है कि वे जल्द ही इसकी भरपाई कर लेंगे। लेकिन ये काफी मुश्किल है और एक तरह से नामुमकिन भी। साथ ही साथ वे ओवर ट्रेडिंग भी करने लग जाते है, नतीजन उनकी ट्रेडिंग एकाउंट बैलेंस जल्द ही शून्य हो जाते है। ये बहुत ही निराशाजनक और हतोत्साहित करने वाला होता है। अगर हम इस तरह के रिस्क से अनजान रहेंगे तो शायद ही ट्रेडिंग में सफल हो पायेंगे रिस्क को समझकर और मैनेज कर ही ट्रेडिंग में सफल हो सकते है


रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) क्या है?

स्टॉक मार्केट में कोई पैसे कमाता है तो दूसरा गँवा रहा होता है। लेकिन ज्यादातर पैसे कमाने वालों की संख्या कम और गँवाने वालों की संख्या अधिक होती है। यहाँ वही लोग पैसे कमा रहे होते है जो रिस्क मैनेजमेंट को कड़ाई से पालन करते है। रिस्क मैनेजमेंट कोई रॉकेट साइंस नहीं है और न ही कोई जैकपॉट फॉर्मूला जिससे आप ओवरनाइट अमीर बन जाएंगे। यह एक खुद का बनाया नियम होता है जिसे खुद ही पालन करना होता है। यानी अपने आप को नियंत्रित रखने के लिए बनाया गया एक नियम।

यहाँ रिस्क मैनेजमेंट में रिस्क का मतलब पैसे गँवाने की संभावना से जुड़े है और मैनेजमेंट का मतलब अपनी कैपिटल को दक्षतापूर्वक उपयोग करने से है। इस तरह स्टॉक मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट का मतलब है कि अपनी कैपिटल को कैसे दक्षतापूर्वक उपयोग करें और उसे डूबने से कैसे बचाया जाये।

इसे एक उदाहरण से समझते है जैसे- यदि आपके ट्रेडिंग एकाउंट में 1 लाख रुपये है तो उसे तीन बराबर भागों में बांट लेना चाहिए यानी 33-33 हजार रुपये में। अब आपको एक दिन में 33 हजार रुपये पर 2% रिस्क ले और इसे कड़ाई से पालन करें। यानी एक दिन में लगभग 650 रुपये का रिस्क ले सकते है।

मान लीजिए आज पहले ट्रेड में 800 रुपये कमाये है, तो फिर से 800+650= 1450 रुपये का बिल्कुल रिस्क न ले और न ही पूरे प्रॉफिट यानी 800 रुपये की रिस्क ले। अब आपकी रिस्क प्रॉफिट का आधा यानी 400 रुपये की होना चाहिए और ट्रेडिंग के अंत तक 400 रुपये प्रॉफिट आपको हर हाल में बचा के रखना चाहिए, तभी आप सफल ट्रेडर बन पायेंगे।

अब यदि दूसरे ट्रेड में भी 400 रुपये का प्रॉफिट हो जाता है तो तीसरे ट्रेड के लिए सिर्फ 200 रुपये का रिस्क ले और अगर यह लॉस में चल जाता है तो टोटल प्रॉफिट 800+200=1000 रुपये हो।

अब यदि अगले दिन ट्रेड ले तो अपनी प्रॉफिट 1000 रुपये का आधा यानी 500 रुपये की रिस्क ले। आधे प्रॉफिट को जरूर बुक करें। अगर दो बार ट्रेड में लगातार प्रॉफिट हो जाता है या लॉस भी हो जाता है तो हमें उस दिन अपना ट्रेडिंग टर्मिनल बंद कर देना चाहिए। क्योंकि ओवर ट्रेडिंग करने से दिन के अंत तक लॉस होने की संभावना अधिक होती है। इस तरह अपनी कैपिटल को मैनेज हुए ट्रेड करना चाहिए, यही रिस्क मैनेजमेंट है।


प्रति दिन कुल ट्रेडों की संख्या कितनी हो?

एक दिन में हमें कम से कम ट्रेड लेना चाहिए। हालांकि ट्रेड लेने की संख्या पर मतभेद हो सकता है, लेकिन मेरे खुद की समझ से एक दिन में 3 या 4 ट्रेड काफी है। क्योंकि जितना अधिक ट्रेड लेंगे उतना ही अधिक ब्रोकरेज देना पड़ेगा, जिसका असर आपके P&L पर दिखने लगता है। इसलिए ट्रेड की संख्या जितना कम हो उतना ही अच्छा है।


प्रति दिन कितना रिस्क लेना चाहिए?

मार्केट में रिस्क लेने की क्षमता सभी की अलग-अलग होती है। ट्रेडिंग में प्रति दिन अधिकतम 3% से 4% तक रिस्क को अच्छा माना जाता है। अगर इससे अधिक की रिस्क लेते है तो जल्द ही आपके ट्रेडिंग एकाउंट बैलेंस जीरो दिखाई दे सकता है।


रिस्क/रिवार्ड रेश्यो (Risk/ Reward Ratio)

रिस्क/रिवार्ड रेश्यो किसी ट्रेड में कुल लॉस या रिस्क और कुल प्रॉफिट या रिवार्ड का अनुपात है। उदाहरण के लिए, कोई ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग सेटअप में 500 रुपये का रिस्क और 1000 रुपये का रिवार्ड चाहते है तो इस तरह रिस्क:रिवार्ड रेश्यो =1:2 होगा। इसी तरह 1000 रुपये की रिस्क और 3000 रुपये की रिवार्ड चाहते है तो रिस्क:रिवार्ड रेश्यो =1:3 होगा। अधिकतर ट्रेडर्स अपने रिस्क:रिवार्ड रेश्यो को 1:3 रखना पसंद करते है अर्थात यदि हर ट्रेड या प्रत्येक दिन 5% की नुकसान या 15% की लाभ कमा सके। ये जांचा परखा रेश्यो है। आप इसे अपने अनुसार 1:2 या 1:4 भी रख सकते है। हमें कोशिश करना चाहिए कि हर ट्रेड में रिस्क कम से कम और रिवार्ड अधिक से अधिक हो।


जीत/हार रेश्यो (Win/Loss Ratio)

जीत/हार रेश्यो जीतने वाले कुल ट्रेडों की संख्या और हारने वाले ट्रेडों की कुल संख्या का अनुपात होता है। मान लीजिए किसी ट्रेडर की महीने में कुल ट्रेडों की संख्या 25 है, जिसमें 10 विजेता (Winner) और 15 हार (Loss) है, तो जीत/हार रेश्यो या विन/लॉस रेश्यो = 10:15 या 2:3 होगा यानी 2/5*100 = 40% ट्रेड जीत का होगा। यह ट्रेडर की मनी मैनेजमेंट बनाने में मदद करता है। हालांकि महीने में कितने ट्रेड विजेता या कितने ट्रेड में हार होंगे? इस बात की कोई गारंटी नहीं है, पर एक उम्मीद हो सकता है। यह भी सुनिश्चित नहीं हो सकते कि कौन से 40% ट्रेड विजेता होंगे।

एक ट्रेडिंग सिस्टम पर विचार कर सकते है, जैसे-
• प्रति दिन कुल ट्रेडों की संख्या = 3
• जीत/हार रेश्यो = 4:6 = 2:3 (ट्रेडों की जीत की प्रतिशत =2/5*100 = 40%)
• रिस्क/रिवार्ड रेश्यो = 1:3
• प्रत्येक ट्रेड पर रिस्क 5%

निम्न टेबल पर 10,000 रुपये की प्रारंभिक एकाउंट बैलेंस है, जिसमें 10 दिन की ट्रेडिंग की परिणाम है-

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ऊपर टेबल में 10 ट्रेडों के बाद 28.57% का प्रॉफिट होता है जो कि काफी अच्छा है।


एक और ट्रेडिंग सिस्टम पर विचार कर सकते है, जैसे-
• प्रति दिन कुल ट्रेडों की संख्या = 3
• जीत/हार रेश्यो = 4:6 = 2:3 (ट्रेडों की जीत की प्रतिशत =2/5*100 = 40%)
• रिस्क/रिवार्ड रेश्यो = 3:3 या 1:1
• प्रत्येक ट्रेड पर रिस्क 10%

निम्न टेबल पर 10,000 रुपये की प्रारंभिक एकाउंट बैलेंस है, जिसमें 10 दिन की ट्रेडिंग की परिणाम है-

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ऊपर टेबल में 10 ट्रेडों के बाद 66.40% का लॉस हुआ है, जो कि बहुत ही बुरा है और ऐसा अधिकतर नये ट्रेडर के साथ होता है। जाने-अनजाने में हम इसी टेबल के अनुसार ट्रेड करते है, जिसके चलते जल्द ही हमारा एकाउंट बैलेंस जीरो हो जाता है। एक अच्छा और प्रॉफिटेबल ट्रेडिंग प्रणाली को विकसित करने के लिए काफी शोध या प्रैक्टिस करने की जरूरत पड़ सकता है।



मुझे कितना रिस्क लेना चाहिए?

जैसा कि आप देख सकते हैं कि इस प्रश्न का उत्तर सरल और सीधा नहीं है। यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे-

• कुल ट्रेडों की संख्या
• जीत/हार रेश्यो
• रिस्क/रिवार्ड रेश्यो
• प्रत्येक ट्रेड पर रिस्क का प्रतिशत

सामान्य तौर पर कुल ट्रेडों की संख्या कम से कम रखें, ताकि ब्रोकरेज भी कम देना पड़े। जीत/हार रेश्यो में हार कम से कम हो, हालांकि हम ऐसा निर्धारित नहीं कर सकते है। रिस्क/रिवार्ड रेश्यो 1:3 या 1:4 एक उचित रेश्यो हो सकता है। प्रत्येक ट्रेड पर रिस्क का प्रतिशत 3% से अधिक न रखे।


अंत में,

यदि आप अभी-अभी ट्रेडिंग करना शुरू कर रहे हैं तो यह बुद्धिमानी होगी कि जब तक आपके कौशल और आत्मविश्वास का विकास न हो जाए, तब तक अपनी कैपिटल की एक छोटी राशि का ही रिस्क ले। ज्यादातर पेशेवर ट्रेडर किसी ट्रेड पर अपनी पूंजी का 2% या 3% से अधिक का रिस्क नहीं उठाते है। रिस्क मैनेजमेंट के साथ-साथ टेक्निकल एनालिसिस, इंडिकेटर, चार्ट पैटर्न, कैंडलस्टिक, मनी मैनेजमेंट और ट्रेडिंग साइकोलॉजी की कॉम्बिनेशन से सफल ट्रेडिंग किया जा सकता है।


Disclaimer: स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करना जोखिम के अधीन है इसके लिए आप अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह जरुर ले या खुद रिस्क लेकर और एनालिसिस कर ट्रेडिंग करें।



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