दोस्तों स्टॉक मार्केट में अधिकांश ट्रेडर्स फंडामेंटल एनालिसिस, टेक्निकल एनालिसिस, मनी मैनेजमेन्ट, रिस्क मैनेजमेंट आदि सभी चीजे जानने और सीखने के बाद भी अपना पैसा गवाँ देते है। इसका एक कारण ट्रेडिंग साइकोलॉजी की समझ न होना है और कुछ पूर्वाग्रह भी होते है। मार्केट में सफल होने के लिए ट्रेडिंग साइकोलॉजी एक महत्वपूर्ण चैप्टर या टॉपिक है। इसे जानना, समझना और अपनी ट्रेडिंग साइकोलॉजी को ठीक करना बहुत जरूरी है।
एक प्रसिद्ध पुस्तक "ट्रेडिंग साइकोलॉजी" के अनुसार, 'ट्रेडर का सबसे बड़ा दुश्मन डर है, जो डरता है वह हार जाता है।' एक ट्रेडर के रूप में आप भय और लालच जैसे भावनाओं से जरूर गुजरे होंगे। जबकि प्रत्येक ट्रेडर इस भावनात्मक रोलरकोस्टर से गुजरता है। एक सफल ट्रेडर जानता है कि अपनी भावनाओं को अपने ट्रेड और निवेश निर्णयों को प्रभावित करने देना कभी भी अच्छा विचार नहीं है। अपनी भावनाओं को अपने ट्रेड निर्णय को प्रभावित न करने देना ही ट्रेडिंग साइकोलॉजी का वास्तविक अर्थ है। यह बात जरूर सुने होंगे कि ट्रेडिंग में सफल होने के लिए 80% ट्रेडिंग साइकोलॉजी और 20% टेक्निकल एनालिसिस की जरूरत होती है और ये सही भी है।
इस लेख में हम जानेंगे कि, ट्रेडिंग साइकोलॉजी क्या है? अपने ट्रेडिंग साइकोलॉजी में सुधार कैसे करें? What is Trading Psychology? How to improve your Trading Psychology? हम यहाँ आत्म विश्वास के साथ ट्रेडिंग करने के लिए कुछ उपाय पर भी बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं!
ट्रेडिंग साइकोलॉजी (Trading Psychology) क्या है?
साइकोलॉजी या मनोविज्ञान मन और व्यवहार का अध्ययन होता है। अधिकतर ट्रेडर्स ट्रेडिंग के दौरान भय, लालच, अफसोस, आशा, गर्व, अधीरता, खुशी, अति आत्मविश्वास, संदेह, क्रोध, बेचैनी आदि भावनाओं से जरूर गुजरते है, इन्ही भावनाओं का अध्ययन कर उन्हें नियंत्रित करने का उपाय ट्रेडिंग साइकोलॉजी के जरिये किया जा सकता है। इनमें से कुछ भावनाएं जैसे आशा, आत्मविश्वास ट्रेडिंग के लिए ठीक है, लेकिन कुछ भावनाएं जैसे डर, लालच, संदेह, क्रोध, बदले की भावना आदि सफल ट्रेडिंग के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। एक और भावना जो स्टॉक मार्केट में बहुत आम है, वह है FOMO (Fear Of Missing Out) अर्थात कुछ खो जाने या गुम होने का डर। ट्रेडिंग साइकोलॉजी एक ट्रेडर को ट्रेडिंग के दौरान अपनी विभिन्न भावनाओं को नियंत्रित और प्रशिक्षित करने का अध्ययन है, जिनका उपयोग कर एक सफल और प्रॉफिटेबल ट्रेडर बना जा सकता है।
मनुष्य की भावनाएं बहुत ही जटिल होती है, उदाहरण के लिए जब किसी कंपनी की शेयर प्राइस गिर रही हो तो हम उसे बेचने की फैसला नहीं कर पाते है क्योंकि उस कंपनी की प्रॉडक्ट उपयोग कर रहे होते है, जो काफी अच्छे होते है या उस कंपनी पर बहुत अधिक भरोसा करते है। "कंपनी अच्छा है" की भावना हमें हमारा दिमाग उसके डेटा (जैसे- फंडामेंटल, चार्ट आदि) को देखने की अनुमति नहीं देता है, जिसके चलते अधिक जोखिम लेते है और अंत में बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। जिन ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को अपनी भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण होता है और अपनी ट्रेडिंग सेटअप को कढ़ाई से पालन करते है वे ही इस मार्केट में प्रॉफिट कमाते है।
ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के द्वारा सामना की गई कुछ प्रमुख भावनाएं और उसे दूर करने के उपाय
आइए हम एक ट्रेडर की मानसिकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न मनोवैज्ञानिक कारकों और उनसे निपटने के लिए कुछ उपाय पर एक नज़र डालें।
1. डर (Fear): डर एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है जिसे हम तब महसूस करते हैं जब कुछ जोखिम होता है। ट्रेडिंग करते समय, जोखिम कई रूपों में हो सकते हैं जैसे- शेयर मार्केट के बारे में कुछ बुरी खबरें, एक ट्रेड लेना और यह महसूस करना कि आप जिस तरह से उम्मीद कर रहे थे वह नहीं हो रहा है, पैसे खोने का डर आदि। ट्रेडर इस स्थिति में आमतौर पर ओवररिएक्ट करते हैं और डर के कारण अपनी पोजिशन या होल्डिंग से बाहर निकल आते हैं। एक मजबूत ट्रेडिंग साइकोलॉजी तब होता है जब ट्रेडर डर को अपनी खरीदी/बिक्री की रणनीति पर हावी नहीं होने देते।
उपाय: प्रत्येक ट्रेडर को पहले यह समझना चाहिए कि वे किससे डरते हैं और क्यों? समय से पहले इन मुद्दों पर चिंतन करें ताकि उन समस्याओं को जल्दी से पहचान सकें और समाधान ढूंढ सकें। ट्रेडर्स का ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि नुकसान का डर आपको लाभ कमाने से न रोके।
2. लालच (Greed): लालच तब प्रवेश करता है जब आप अधिक लाभ चाहते हैं। रोम एक दिन में नहीं बना था और न ही आप शेयर मार्केट से एक दिन में अमीर बन जायेंगे। यदि आप अपने आप को जीत की राह पर पाते हैं, तो अपना प्रॉफिट बुक करें और आगे बढ़ें। अधिकांश समय ज्यादा लालच ही जीत को हार में बदल देता है।
उपाय: लालच का मुकाबला करने के लिए आपके पास एक पूर्वनिर्धारित प्रॉफिट बुकिंग का लेवल होना चाहिए। किसी ट्रेड में प्रवेश करने से पहले ही लालच के बहकावे में आने से बचने के लिए अपने स्टॉप-लॉस और बुक-प्रॉफिट लेवल्स को सेट कर लेवे।
3. पछतावा (Regret): ट्रेडिंग में पछतावा दो तरह से आता है। एक ट्रेडर को ऐसा ट्रेड करने पर पछतावा हो सकता है जो काम नहीं कर सकता और दूसरा ऐसा ट्रेड न करने का पछतावा होता है जो काम कर सकता था। पछतावे पर आधारित यह ट्रेडिंग साइकोलॉजी एक ट्रेडर के लिए खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप गलत ट्रेड हो सकते हैं।
उपाय: एक पछतावा या खेदजनक ट्रेडिंग साइकोलॉजी से बचने का सबसे अच्छा तरीका यह स्वीकार करना है कि आपके पास मार्केट में सभी अवसर नहीं हो सकते हैं। शेयर मार्केट में समीकरण बहुत सरल है- आप कुछ जीतते हैं और आप कुछ खोते भी हैं। एक बार जब आप इस नियम को स्वीकार कर लेते हैं, तो आपका ट्रेडिंग साइकोलॉजी स्वतः ही बेहतर हो जाएगा।
4. आशा (Hope): ट्रेडर अक्सर सोचते हैं कि ट्रेडिंग जुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे हर समय जीतने की उम्मीद करते हैं और जब वे नहीं जीतते हैं तो वे निराश हो जाते हैं। एक सफल ट्रेडर बनने के लिए आपके पास एक ठोस ट्रेडिंग साइकोलॉजी होना चाहिए जो आशा पर निर्भर नहीं होना चाहिए। यदि आप निकट भविष्य में अत्यधिक प्रॉफिट या अमीर बनने की उम्मीद करते हैं तो आप अपने पूरे निवेश को जोखिम में डाल रहे हैं।
उपाय: घाटे में चल रहे ट्रेड में एवरेज न करे तथा लांग टर्म में प्रॉफिट देगा, की आशा छोड़ दे। व्यावहारिक रहें और अपने नुकसान को सही समय पर बुक करें।
5. क्रोध (Anger): क्रोध या गुस्सा एक नकारात्मक भावना है। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है साथ ही सोचने समझने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। क्रोध या गुस्सा किसी भी कारण से हो सकता है जैसे- किसी झगड़े से, ट्रेडिंग में पैसे खोने से आदि। ऐसे में कोई ट्रेडर जब कोई ट्रेडिंग निर्णय लेंगे तो स्वाभाविक है कि वह ट्रेड फेल ही होगा।
उपाय: ट्रेडर को ये बात हमेशा याद रखना चाहिए कि ट्रेडिंग एक मानसिक कार्य है और जब हमारा मन अच्छा होता है तो हमारा दिमाग भी सही से निर्णय ले पाता है। क्रोध में ट्रेड लेने से हमेशा बचना चाहिए।
6. बदले की भावना (Revenge): कभी-कभी ट्रेडर लगातार 3-4 बार लगातार लॉस करते है, उसके बाद वह जाने अनजाने में मार्केट से लड़ने लगता है उन्हें लगता है कि वे मार्केट से जीत के ही रहेंगे, तो ये भावना ही रिवेंज ट्रेडिंग कहलाता है। बदले की भावना से ट्रेडर ओवर ट्रेडिंग भी करने लगता है, नतीजन हार का ही सामना करना पड़ता है।
उपाय: हमें ये बात याद रखना चाहिये कि मार्केट अस्थिर है, इस पर हमारा नियंत्रण नहीं हो सकता है। हम अपने आप को ही नियंत्रित कर सकते है। बदले की भावना से कभी भी ट्रेड न करें, मार्केट का सम्मान करें।
7. ट्रेडिंग फोमो (Trading FOMO): ज्यादातर ट्रेडर को लगता है कुछ उनके साथी ट्रेडर किसी समय बहुत प्रॉफिट कमाया होता है, अगर उस समय वह भी ट्रेड करता तो अभी प्रॉफिट में रहता, इसे ही ट्रेड छूटने का डर या ट्रेडिंग फोमो कहते है।
उपाय: इससे बचने के लिए हमें कभी भी छूटे हुए ट्रेड के लिए अफसोस नहीं करना चाहिए। ट्रेडर्स को समझना चाहिए कि मार्केट में प्रॉफिट कमाने के सभी के लिए अलग-अलग अवसर होते है। हम उन सभी अवसर से लाभ नहीं कमा सकते, बल्कि कुछ ही अवसरों से लाभ कमा सकते है।
ट्रेडिंग पूर्वाग्रह (Trading Bias)
आइये कुछ ट्रेडिंग पूर्वाग्रह को जाने जिसे समझकर हम खुद ही दूर सकते है।
1. प्रतिनिधि पूर्वाग्रह (Representative Bias): प्रतिनिधि पूर्वाग्रह या रिप्रेजेन्टेटिव बायस का मतलब है कि ट्रेडर पहले से सफल ट्रेडों को दोहराने के लिए अधिक इच्छुक होते है। ट्रेडर इस प्रकार के प्रत्येक ट्रेड के लिए बिना विश्लेषण के ऐसा करते हैं क्योंकि अतीत में इसने ट्रेडर को प्रॉफिट दिलाया होता है।
2. नकारात्मकता पूर्वाग्रह (Negativity Bias): नकारात्मकता पूर्वाग्रह या नेगेटिविटी बायस एक ट्रेड के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों पर विचार करने के बजाय एक ट्रेडर को ट्रेड के नकारात्मक पक्ष के प्रति अधिक इच्छुक या झुकाव बनाता है। इस तरह के पूर्वाग्रह का प्रभाव यह होता है कि एक ट्रेडर पूरी रणनीति या स्ट्रेटेजी को नकारात्मक पहलू के कारण छोड़ सकता है। जबकि उन्हें उस ट्रेड को प्रॉफिट में बदलने के लिए रणनीति (स्ट्रेटेजी) में केवल थोड़े सी बदलाव की जरुरत होती है।
3. यथास्थिति पूर्वाग्रह (Status Quo Bias): यथास्थिति पूर्वाग्रह का मतलब है कि आप नई रणनीतियों की खोज करने के बजाय पुरानी रणनीतियों (स्ट्रेटेजी) का उपयोग करना जारी रखते है यानी आप यथास्थिति से चिपके रहते है। खतरा तब पैदा होता है जब आप यह आकलन करने में असफल रहते हैं कि वे पुराने तरीके अब मौजूदा बाजार में काम नहीं कर रहे हैं।
4. पुष्टिकरण पूर्वाग्रह (Confirmation Bias): पुष्टिकरण पूर्वाग्रह या कन्फर्मेशन बायस तब होता है जब आप खोज करते हैं या समाचार और विश्लेषण को अधिक महत्व देते हैं जो आपके पूर्व-तैयार विचारों की पुष्टि करता है। यह भी हो सकता है कि आप ऐसी जानकारी की तलाश न करें जो आपके विश्वासों का खंडन करती हो।
5. जुआरी की भ्रांति (Gambler’s Fallacy): जुआरी की भ्रांति वह है जब कोई ट्रेडर्स या इन्वेस्टर्स बिना एनालिसिस के किसी ट्रेड या इन्वेस्ट में केवल जितने या प्रॉफिट कमाने की उम्मीद से एंट्री करते है। कुछ लोग इस तरह से ट्रेड या इन्वेस्ट करते है कि या तो कोई बहुत बड़ा प्रॉफिट होगा या फिर मेरा पूरा कैपिटल डूबेगा। ज्यादातर नये ट्रेडर या इन्वेस्टर इस तरह की मानसिकता के साथ मार्केट में प्रवेश करते है, नतीजन अपनी पूरी कैपिटल को खो देते है। ऐसे लोग ही स्टॉक मार्केट को जुआ या गैंबलिंग से जोड़ते है।
6. कंट्रोल का भ्रम (Illusion of Control): कंट्रोल का भ्रम या इल्यूजन ऑफ कंट्रोल लगभग सभी इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स में देखे जाते है। ट्रेडर कई बार आपने चार्ट को बहुत सारे इंडिकेटर लगाकर ज्यादा जटिल बना देते हैं। इससे उन्हें यह लगता है कि अब उन्हें कोई हरा नहीं सकता। उन्हें एक कंट्रोल की अनुभूति होती है। इल्यूजन ऑफ कंट्रोल की वजह से आप घंटों डेटा निकालते हैं जबकि उसकी कोई जरूरत नहीं होती। अधिक डेटा का मतलब हमेशा अधिक सूचना नहीं होता है, बल्कि इससे भ्रम पैदा होता है और ट्रेड में गलत निर्णय होने की संभावना बढ़ जाता है।
7. ताजेपन का पूर्वाग्रह (Recency Bias): रीसेंसी बायस में ट्रेडर को ताजा घटनाओं को ज्यादा महत्व देने के लिए कहता है जो कि शायद सही नहीं है। यह ट्रेडर्स को पिछली घटनाओं को देखने से रोकता है जबकि उनका मार्केट पर काफी असर हो सकता है। घटनाओं की बड़ी तस्वीर को पूरी पृष्ठभूमि के साथ देख कर आप इस पूर्वग्रह का शिकार होने से बच सकते हैं।
8. एंकरिंग बायस (Anchoring Bias): एंकरिंग बायस काफी आम है, इसके असर से ट्रेडर और इन्वेस्टर सबसे पहले मिलने वाली सूचना से एक तरह से चिपक जाते हैं और उसी के हिसाब से फैसले करने लगते हैं। जबकि ट्रेड और इंवेस्ट करने से पहले हमें पुरानी डेटा को भी अच्छे से एनालिसिस कर लेना चाहिए। इसकी वजह से आप अच्छे मौके गंवा सकते हैं।
9. एट्रीब्यूशन बायस (Attribution Bias): एट्रीब्यूशन बायस में ट्रेडर आमतौर पर अपनी गलती किसी दूसरी वजह पर डालते हैं या आरोप लगते है और अपनी एनालिसिस को कभी गलत नहीं मानते है। इससे बचने के लिए आप एक ट्रेडिंग जर्नल बना सकते हैं।
10. फंक्शनल फिक्सेडनेस (Functional Fixedness): फंक्शनल फिक्सेडनेस किसी भी टूल, स्ट्रेटेजी या इंडिकेटर के इस्तेमाल के बारे में ट्रेडर्स अपनी राय को सीमित कर लेते है और वे उसके बारे में कोई नई कल्पना नहीं करते है। इससे से बचने का एक ही तरीका है कि आप हमेशा नये-नये रणनीति (स्ट्रेटेजी) खोजते रहें।
अपने ट्रेडिंग साइकोलॉजी में सुधार कैसे करें?
1. अपने व्यक्तित्व लक्षणों को पहचानें (Know Your Personality Traits)
अपने व्यक्तित्व लक्षणों और भावनाओं की पहचान करना और उनके बारे में जागरूक होना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि ऊपर सूचीबद्ध आपके पूर्वाग्रहों को पहचानना। पूर्वाग्रह मानव स्वभाव का एक सहज पहलू है, लेकिन किसी भी ट्रेड को शुरू या बंद करने से पहले आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आपके व्यक्तिगत पूर्वाग्रह क्या हैं।
ट्रेडिंग योजनाओं को व्यक्तिगत कारकों पर भी ध्यान में रखना चाहिए जो आपके ट्रेडिंग डिसीप्लीन को प्रभावित कर सकते हैं जैसे कि आपकी भावनाएं, पूर्वाग्रह और व्यक्तित्व लक्षण। यदि आप ट्रेडिंग शुरू करने से पहले अपने पूर्वाग्रह को जान और समझ लेते है तो उसे दूर करने का प्रयास आसानी से कर सकते है।
2. धैर्य रखें (Be Patient)
धैर्य अनुशासन का अभिन्न अंग है और यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने ट्रेड के साथ धैर्य रखें। डर जैसी भावनाओं पर काम करने से आप किसी पोजीशन को बहुत जल्दी बंद कर लाभ से वंचित रह सकते हैं। अपने विश्लेषण पर भरोसा करें और धैर्य और अनुशासित रहें। समान रूप से जब एक ट्रेड में प्रवेश करना चाहते हैं, तो धैर्य रखना और उचित समय की प्रतीक्षा करना महत्वपूर्ण है, न कि केवल उसी समय ट्रेड में कूदने के बजाय। उदाहरण के लिए, यदि आप Nifty या Bank Nifty पर ट्रेड करना चाहते हैं, तो आपको चार्ट की एनालिसिस कर ब्रेकआउट या किसी सिग्नल आदि का इंतजार करना चाहिए। क्योंकि बिना धैर्य के किसी भी समय किसी भी ट्रेड में एंट्री लेते तो लॉस की संभावना बढ़ जाती है।
3. अपने आप को सही मानसिकता में लायें (Get Yourself In The Right Mindset)
इससे पहले कि आप अपना ट्रेडिंग शुरू करें, बस अपने आप को याद दिलाएं कि मार्केट कभी स्थिर नहीं होते हैं। आपके कुछ अच्छे दिन होंगे और कुछ बुरे दिन भी। हमेशा आप बड़ा प्रॉफिट नहीं कमा सकते है, लेकिन नुकसान को कम किया जा सकता है।
अपने ट्रेडिंग साइकोलॉजी को बेहतर बनाने के लिए एक और प्रभावी रणनीति है खुद को समय देना। याद रखे आप अपने पहले ट्रेडिंग दिन में ही अमीर नहीं बन जायेंगे। एक सफल और प्रॉफिटेबल ट्रेडर बनने के लिए, एक ठोस ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बनाने और अभ्यास करने की आवश्यकता होती है जो मार्केट की भावनाओं से प्रभावित न हो ।
4. स्टॉक मार्केट को सीखे (Learn Stock Market)
अपने ट्रेडिंग साइकोलॉजी को बेहतर बनाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है अपने ज्ञान और ट्रेडिंग कौशल को बढ़ाना। शेयर मार्केट का मजबूत आधार उसकी अच्छी जानकारी या ज्ञान होना है। हमें मार्केट की बेसिक नॉलेज जैसे- फंडामेंटल व टेक्निकल एनालिसिस, रिस्क मैनेजमेंट, मनी मैनेजमेंट, मार्केट ट्रेंड आदि की समझ होनी चाहिए। ज्ञान ही नकारात्मक ट्रेडिंग साइकोलॉजी को हराने की कुंजी है । याद रखें, ज्ञान शक्ति है। स्टॉक मार्केट के बारे में ज्यादा से ज्यादा सीखते रहिये और साथ ही नवीतम जानकारी से अपडेट होते रहिये। क्योंकि पुरानी जानकारी और उपाय इस मार्केट में काम आने वाली नहीं।
5. सफल ट्रेडर्स की आदतों का निरीक्षण करें (Observe The Habits Of Successful Traders)
शेयर मार्केट अद्वितीय है क्योंकि यह प्रत्येक ट्रेडर के साथ अलग-अलग व्यवहार करता है। जब ट्रेडिंग की बात आती है, तो आपको इस बात की जानकारी लेनी चाहिए कि आपके साथी या प्रॉफिटेबल ट्रेडर्स क्या कर रहे हैं, उनकी नकल करने के लिए नहीं बल्कि उनसे सीखने के लिए।
सफल ट्रेडर्स की सकारात्मक विशेषताओं को देखकर और कुछ आदतों या रणनीतियों को अपने ट्रेड में शामिल करके आप अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी में कई गुना सुधार कर सकते हैं।
6. अभ्यास! अभ्यास! अभ्यास करें! (Practice! Practice! Practice!)
मानसिक शक्ति हासिल करने के लिए अभ्यास सबसे अच्छा और सबसे विश्वसनीय तरीका है। अभ्यास से आपको समय के साथ अपने ट्रेडिंग साइकोलॉजी को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। आप अभ्यास से ही खुद के लिए ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का निर्माण कर सकते हैं और किसी भी उतार-चढ़ाव के लिए अच्छी तरह से तैयार हो सकते हैं।
अपनी भावनाओं, पूर्वाग्रहों और व्यक्तिगत स्वभाव के बारे में जागरूक होकर विश्लेषण कर अपनी ट्रेडिंग साइकोलॉजी में सुधार सकते है। एक ट्रेडर के रूप में सफलता प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए आपको एक मानसिकता विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत और अभ्यास करना चाहिए।
7. अति आत्मविश्वास से बचें (Avoid Overconfidence)
आपके ट्रेडिंग नॉलेज में अति आत्मविश्वास आपको गलत विश्वास दे सकता है कि आपके विचार और निर्णय हमेशा सही होते हैं। यदि आप एक आत्मविश्वासी ट्रेडर है तो आप आत्मविश्वास और अति आत्मविश्वास के अंतर को समझे। जैसे- आत्मविश्वास के अनुसार 'मैं इस ट्रेड में प्रॉफिट बनाऊंगा' और अति आत्मविश्वास के अनुसार 'मैं इस ट्रेड में प्रॉफिट लेकर ही रहूँगा।' ऐसे में हम जाने अनजाने में मार्केट से लड़ने लग जाते है और अंत में हार ट्रेडर की ही होती है।एक सफल ट्रेडर सावधान रहते है कि वह अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों, विचारों और बाजार के विचारों के जाल में न फंसे।
8. ट्रेडिंग जर्नल जरूर बनाये (Make a Trading Journal)
अपनी ट्रेडिंग गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए एक ट्रेडिंग जर्नल जरूर बनाये। इसके लिए किसी एप्प या एक्सेल शीट में Buy Price, Sell Price, Total P&L, %P&L Quantity, Initial Risk, Risk-Reward Ratio आदि डेटा को स्टोर कर रख सकते है। इससे आप ट्रेड बंद होने के बाद अपने निर्णयों का विश्लेषण करने और यह जांचने में मदद मिलती है कि क्या काम किया और क्या नहीं। यह डेटा ट्रेडिंग निर्णयों का आकलन करने में मदद करता है। ट्रेडिंग जर्नल हमें भविष्य में सिस्टेमेटिक ट्रेड करने साथ ही अपने ट्रेड के प्रदर्शन और प्रॉफिट में सुधार करने में मदद करता है ।
9. गलतियों से सबक ले (Learn from Mistakes)
हार के बाद ब्रेक लेना चाहिए। हार का विश्लेषण करें कि कहाँ गलती हुई है? सबसे अच्छे ट्रेडर वे हैं जो अपना नुकसान को स्वीकारते हैं और उन्हें सीखने के अवसरों के रूप में उपयोग करते हैं। वे आम तौर पर ट्रेडिंग पर वापस आने से पहले कुछ समय लेते हैं। एक सफल ट्रेडर लाभ और हानि दोनों को समान रूप से स्वीकार करता है। एक दो बार नुकसान झेलने के बाद हार मानने वाले ट्रेडर्स के विपरीत एक सफल ट्रेडर अपने लाभ के लिए अपने नुकसान का उपयोग करता है। वह अपनी गलतियों को समझने के लिए उनका विश्लेषण करता है और उस सबक को भविष्य के ट्रेडों में लागू करता है। शेयर मार्केट का यह साइकोलॉजी उसके हर समय जीतने की गारंटी नहीं देता है। लेकिन इससे उसे अपने ट्रेड के परिणाम के बारे में चिंता और तनाव को दूर करने में मदद करता है।
10. टारगेट की जगह स्टॉप लॉस सेट करे (Set Stop Loss Instead of Target)
अधिकतर ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग सेटअप में टारगेट या प्रॉफिट को ज्यादा महत्व देते है, इससे वे अपने P&L मॉनिटर को बार-बार देखते है। P&L को देखने से डर, लालच जैसे भावनाएं उत्पन्न होती है, जिससे ट्रेड में गलत निर्णय लेने की संभावना बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए हमें अपने ट्रेडिंग सिस्टम में टारगेट की अपेक्षा स्टॉप लॉस को अधिक प्राथमिकता देना चाहिए। ट्रेडिंग और इंवेस्टिंग दोनों में ही स्टॉप लॉस एक महत्वपूर्ण टूल है। ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस एक ब्रेक की तरह होती है, जैसे आप किसी भी बाइक या कार को बिना ब्रेक के चलायेंगे तो क्या हो सकता है? एक्सीडेंट न! ठीक इसी प्रकार ट्रेडिंग में बिना स्टॉप लॉस के ट्रेड करना मतलब अपनी रिस्क को अनलिमिटेड करना होता है। एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर अपने प्रत्येक ट्रेड में स्टॉप लॉस को जरूर सेट करके ही ट्रेड करता है।
एक सफल ट्रेडर हालांकि यह समझता है कि प्रॉफिट को अधिकतम करने की तुलना में कैपिटल को बचाना ट्रेडिंग का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है। कैपिटल की रक्षा के बाद ही अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है। एक सफल ट्रेडर जानता है कि कब और कैसे ट्रेड करना है और साथ ही वह यह भी जानता है कि कब ट्रेड नहीं करना है।
11. ट्रेडिंग प्रक्रिया अपनाएं और उसका पालन करें (Have a Trading Process and Follow It)
ज्यादातर लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्टर के रूप में प्रवेश करते हैं लेकिन अंत में इंट्रा-डे आधार पर ट्रेडिंग करते हैं। उनके पास कोई ट्रेडिंग प्रोसेस नहीं होते है, बिना सोचे समझे (Randomly) ट्रेड करते हैं। ऐसे ट्रेडर किसी अन्य लोगों जैसे यूट्यूबर, ब्लॉगर, टेलीग्राम में दिखाये गए प्रॉफिट के स्क्रीनशॉट से प्रेरित होते है और बिना सोचे-समझे मार्केट में ट्रेडिंग करने लग जाते है। परिणाम? शुरू में कुछ ट्रेडों से उन्हें कुछ लाभ तो मिल जाता है, लेकिन जल्द ही पूरा कैपिटल खो देते है।
ऐसे ट्रेडर्स और एक सफल ट्रेडर के बीच का अंतर उनका शेयर मार्केट साइकोलॉजी है । एक सफल ट्रेडर वह है जो एक ट्रेडर के रूप में शुरू करने से पहले खुद को रिसर्च, प्रेक्टिस और ट्रेडिंग नॉलेज से सुसज्जित करता है। वे अन्य अनुभवी ट्रेडर्स का अध्ययन करते है और उनसे सीखते रहते है। वह अपने निष्कर्षों के आधार पर अपनी खुद की ट्रेडिंग प्रोसेस विकसित करता है। अपनी खुद की ट्रेडिंग प्रॉसेस को कढ़ाई से पालन करते है। यही अनुशासन ट्रेडर को अधिक सफल बनाता है।
अंतिम विचार (Conclusion)
आप ट्रेडिंग से भावनाओं को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकते हैं। ट्रेडिंग के दौरान भावनाओं को कम या नियंत्रित कर उचित निर्णय लिया जा सकता है, जिससे कि आप मार्केट में लंबे समय तक सर्वाइव कर सके साथ ही एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर बन सके। ट्रेडिंग साइकोलॉजी को समझना और इसे लागू करना एक लंबी समय लेने वाली प्रक्रिया है। आपको लंबे समय तक अपने ट्रेडिंग साइकोलॉजी को लगातार परिष्कृत करना होगा। संक्षेप में ट्रेडिंग साइकोलॉजी याद रखें- अनुशासित रहें, लचीले बनें और सीखना कभी भी बंद न करें। यदि आप इन रणनीतियों का पालन करते हैं तो आप व्यावहारिक ट्रेडिंग निर्णय लेने में सक्षम होंगे।
याद रखे स्टॉक मार्केट एक अस्थिर या परिवर्तनशील जगह है। यहॉं किसी स्टॉक की प्राइस का अनुमान लगाना लगभग असंभव है। हालांकि टेक्निकल एनालिसिस में कुछ इंडिकेटर है जो ट्रेड को पहचानने में मदद कर सकते है, लेकिन कोई भी बाहरी कारक कुछ ही समय में मार्केट को उलट सकता है। इसलिए स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग और इंवेस्टिंग दोनों के लिए भावनात्मक संतुलन और स्वस्थ मानसिकता बनाये रखना ज्यादा महत्वपूर्ण है।
हैप्पी ट्रेडिंग!!
Disclaimer: स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करना जोखिम के अधीन है इसके लिए आप अपने फाइनेंसियल एडवाइजर से सलाह जरुर ले या खुद रिस्क लेकर और एनालिसिस कर ट्रेडिंग करें।